₹250
परिवहन के साधनों का विकास मानव के धैर्य, साहस, शौर्य और पराक्रम की यशोगाथा है। पहिए की खोज यातायात के इतिहास का प्रथम अध्याय है, जो आज भी समूचे परिवहन-तंत्र की धुरी है।
पहिए की खोज से लेकर साइकिल, मोटर, रेल, जलयान, वायुयान, रॉकेट, जेट और होवर क्राफ्ट से होते हुए आज का परिवहन शटलों के युग में प्रवेश कर चुका है। नए से नए और अत्यंत तेज रफ्तारवाले वाहनों की हमारी खोज-यात्रा आज भी जारी है। नित नया पाने की ललक में मानव को कदाचित् ही विश्रांति मिले।
वस्तुत: ‘परिवहन की कहानी’ जल, थल और नभ के परिवहन साधनों के विकास की रोचक यात्रा का इतिवृत्त है। पुस्तक अपने आप में परिवहन का एक लघु-विश्वकोश है। निश्चय ही यह ग्रंथ पाठकों के लिए रोचक, रोमांचक, जानकारीप्रद एवं संग्रहणीय होगा।
हिंदी में विज्ञान लेखन के एक अप्रतिम हस्ताक्षर।
जन्म : 24 अक्तूबर, 1954 को बस्ती जिले के एक शिक्षक परिवार में।
शिक्षा : इलाहाबाद विश्वविद्यालय से एम.एस-सी. (वनस्पति विज्ञान) तथा एम.ए. (हिंदी)।
लेखन-संपादन : अब तक देश के प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में विज्ञान संबंधी 2000 से अधिक लेख प्रकाशित एवं लोक-विज्ञान की 75 से अधिक पुस्तकों का प्रणयन। ‘विज्ञान वैचारिकी’ एवं ‘पर्यावरण दर्शन’ पत्रिकाओं का कुशल संपादन। अन्य कई पत्रिकाओं के अतिथि संपादक।
पुरस्कार : अनेक प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित।
संप्रति : विज्ञान वैचारिकी अकादमी इलाहाबाद के निदेशक।
संपर्क : 34, एलनगंज, इलाहाबाद-211002 (उ.प्र.)