₹300
कड़क आवाज में मिस मेकेंजी ने उत्तर दिया, “गुड मॉर्निंग, क्या आपको मेरी क्यारी से उठने में आपत्ति है ?''
संकोच से उस बालक ने नॉस्टर्शियम के ऊपर चलते-चलते, गालों में गड्ढा दिखाते हुए मिस मेकेंजी की ओर देखा। उससे गुस्सा रहना असंभव था।
मिस मेकेंजी ने कहा, “आप अनधिकार प्रवेश कर रहे हैं ।''
“हाँ, मिस!
“और आप जानते हैं कि इस समय आपको स्कूल में होना चाहिए।''
“हाँ, मिस”!
“तो आप यहाँ क्या कर रहे हैं ?''
“में फूल तोड़ रहा था, मिस!” और उसने पत्तों एवं फूलों का एक गुच्छा उठा लिया।
“अरे!'' मिस मेकेंजी निरस्त्र हो गईं। काफी अरसा हो चुका था, जब उन्होंने किसी लड़के को फूलों की ओर आकर्षित होते देखा था और उन्हें एकत्र करने के लिए स्कूल से गायब होते देखा था।
“क्या तुम्हें फूल पसंद हैं ?' उन्होंने
पूछा।
“जी हाँ, मिस! मैं एक बोतांटिस्ट बनूँगा।“
“तुम्हारा मतलब है बोटानिस्ट ।”
“जी हाँ, मिस!“
-“इसी पुस्तक से
सुप्रसिद्ध किस्सागो रस्किन बॉण्ड की कहानियों का यह संग्रह बालक-तरुण पाठकों को परियों की हसीन दुनिया की सैर कराता है; ये भी परियों के साथ बिना परों के ही उड़ने लगते हैं । मनोरंजन से भरपूर कहानी-संग्रह |
जन्म 19 मई, 1934 को हिमाचल प्रदेश के कसौली में हुआ था। बचपन में ही मलेरिया से इनके पिता की मृत्यु हो गई, तत्पश्चात् इनका पालन-पोषण शिमला, जामनगर, मसूरी, देहरादून तथा लंदन में हुआ। इनकी रचनाओं में हिमालय की गोद में बसे छोटे शहरों के जन-जीवन की छाप स्पष्ट है। इक्कीस वर्ष की आयु में ही इनका पहला उपन्यास ‘द रूम ऑन रूफ’ (The Room on Roof) प्रकाशित हुआ। इसमें इनके और इनके मित्र के देहरा में रहते हुए बिताए गए अनुभवों का लेखा-जोखा है। भारतीय लेखकों में बॉण्ड विशिष्ट स्थान रखते हैं। उपन्यास तथा बाल साहित्य की इनकी रचनाएँ अत्यंत लोकप्रिय हुई हैं। साहित्य के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए भारत सरकार ने 1999 में इन्हें ‘पद्मश्री’ से सम्मानित किया।