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आप पंछियों को रोज उड़ते देखते हैं न! आकाश में कबूतर, चील, बाज, गौरैया, फाख्ता, कौवा, कोयल, तोता, सारस—न जाने कितने पंछी उड़ते हैं। क्या कभी कबूतर ने अपने बच्चों से यह कहा कि तुम चील की तरह उड़ो या बगुले ने अपने बच्चों को बाज की कलाबाजी करने को कहा? क्या चील ने कहा कि सारस की तरह सीधी उड़ान भरो? आकाश तो सबके लिए है न? तो फिर सब पंछी एक जैसी उड़ान क्यों नहीं भरते? वजह—सबकी अपनी क्षमताएँ हैं। आकाश मिलने का मतलब यह नहीं कि सभी दूर गगन में निकल जाएँ। आप अभिभावक हैं तो आपको अपने बच्चों की क्षमता का अंदाजा होना चाहिए। उन पर अपने सपनों का आकाश मत थोपिए, बल्कि उनके सपनों को अपने विश्वास और साथ के पंख दीजिए। आप बच्चों का हौसला और मनोबल बढ़ाइए। उनकी कठिनाइयों को समझिए। दूसरे बच्चों से उनकी तुलना मत कीजिए। आप केवल यह प्रयास कीजिए कि आपके बच्चे गलत राह पर न जाएँ। गलती हो तो बताइए, डाँटिए नहीं, बल्कि भरोसा देते हुए प्यार से समझाइए। बच्चों के व्यवहार से उनके बारे में अंदाजा लगाया जा सकता है। इसके लिए जरूरी है कि आप उन्हें पूरा समय दें। केवल रुपए खर्च करके आप उनका जीवन नहीं बना सकते। रुपए बेशक कम दीजिए, मगर समय पूरा दीजिए। आपके बच्चे आपके प्यार और विश्वास के भूखे हैं। उन्हें एहसास कराइए कि कुछ भी हो, तुम्हारे पापा-मम्मा तुम्हारे साथ हैं। अपना भरोसा, प्यार, साथ और दोस्ती उन्हें भरपूर दीजिए। फिर देखिए, बच्चे कैसे खिल जाएँगे।
परवरिश पर एक संपूर्ण व्यावहारिक पुस्तक।
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अनुक्रम
भूमिका " ‘हम-तुम’ का विस्तार ‘हम-सब’ में है —Pgs. 7
प्रस्तावना " युवा मन को समझने की चुनौती —Pgs. 11
मेरी बात —Pgs. 15
1. माँ के दूध पिलाने से बच्चे को वायरल इंफेक्शन नहीं होता —Pgs. 23
2. बच्चों को मन से भी स्वस्थ बनाना हमारी जिम्मेदारी —Pgs. 25
3. हमेशा एक्सपायरी डेट देखकर ही सामान खरीदना चाहिए —Pgs. 27
4. सामान हमेशा अपनी जरूरत के अनुसार ही खरीदना चाहिए —Pgs. 29
5. बच्चों के सामने ‘तेरा-मेरा’ की बात नहीं करनी चाहिए —Pgs. 31
6. बड़ों की बातें मानना ही उनके लिए है प्यारा गिफ्ट —Pgs. 33
7. ताकि बुढ़ापे में देख सकें बच्चों का बचपन —Pgs. 36
8. बच्चों की भलाई के लिए थोड़ी सख्ती भी है जरूरी... —Pgs. 39
9. पेरेंट्स बच्चों को समय दें, जिससे वे संस्कारी बनें —Pgs. 42
10. अपने बच्चों से दोस्ती बनाकर रहिए —Pgs. 45
11. उदाहरण से बात समझते हैं बच्चे —Pgs. 48
12. छोटे बच्चों को किसी के साथ भी अकेला न छोड़ें —Pgs. 51
13. बच्चों में अच्छे संस्कार डालना आपका ही काम —Pgs. 54
14. बच्चों के सही विकास के लिए जरूरी है, दादी-नानी का प्यार —Pgs. 57
15. जैसा आप करेंगे, वैसा ही व्यवहार कल बच्चे करेंगे —Pgs. 60
16. माँ को ही रखना होगा बेटी की सुरक्षा का ध्यान —Pgs. 63
17. दोस्तों के सामने बच्चों को कभी न डाँटें —Pgs. 66
18. न रखें बच्चों से बड़ों की अपेक्षा —Pgs. 69
19. बड़ों को शोभा नहीं देता बच्चों जैसा बिहेव —Pgs. 72
20. कभी-कभी बच्चों को खुलकर खेलने दें —Pgs. 75
21. बच्चों को खुद मंजिल तय करने का हौसला दें —Pgs. 78
22. बच्चों को छोटी उम्र से दें संस्कारों की गोली —Pgs. 81
23. बच्चों को हिंदी जरूर सिखाएँ, ताकि अपनी भाषा न पड़े कमजोर —Pgs. 84
24. पढ़ाई में बच्चे की क्षमता का भी रखिए ध्यान —Pgs. 87
25. बेटा हो या बेटी, अच्छी परवरिश को दें अहमियत —Pgs. 90
26. सब रिश्तों की एक सीमा, मगर दोस्ती सबसे परे —Pgs. 93
27. नाम का भी बच्चे पर पड़ता है गहरा असर —Pgs. 96
28. बड़ों का फर्ज है छोटों को सही राह दिखाना —Pgs. 99
29. हमें उम्मीद का दामन कभी नहीं छोड़ना चाहिए —Pgs. 102
30. पेरेंट्स को सम्मान देंगे, तभी कल हमें सम्मान मिलेगा —Pgs. 105
31. कच्ची उमर के बच्चों पर निगाह रखना है जरूरी —Pgs. 108
32. समय देने से ही बनता है, बच्चों से मजबूत रिश्ता —Pgs. 111
33. बच्चों के अच्छे भविष्य के लिए ही पेरेंट्स करते हैं सख्ती —Pgs. 115
34. खुशहाल जीवन की चाबी है अच्छा कॅरियर —Pgs. 118
35. बच्चों के सुख के लिए ही पेरेंट्स करते हैं इतना काम —Pgs. 121
36. बच्चों को अंधाधुंध रुपए देना उनके हित में नहीं —Pgs. 124
37. किशोरों की जिज्ञासा शांत करना आपका कर्तव्य —Pgs. 127
38. माता-पिता की देखभाल कोई भी हॉस्टल नहीं दे सकता —Pgs. 130
39. नजर रखकर रोक सकते हैं बच्चों की नादानियाँ —Pgs. 133
40. किशोरावस्था में बच्चों को सँभालना आपका ही दायित्व —Pgs. 136
41. बेटियाँ बोझ नहीं, ईश्वर का उपहार होती हैं —Pgs. 139
42. किशोरावस्था का आकर्षण प्यार नहीं होता —Pgs. 142
43. बच्चे को उसी में कॅरियर बनाने दें, जिसमें उसकी रुचि हो —Pgs. 145
44. बच्चों और उनकी खुशियों को समझिए —Pgs. 148
45. सबकुछ खत्म कर सकती है, छोटी उम्र की एक भूल —Pgs. 151
46. पढ़ाई की राह पर आप विश्वास के साथ आगे बढ़िए —Pgs. 154
47. आज अपने बच्चे को समय नहीं देंगे तो कल बच्चा भी आपको नहीं समझेगा —Pgs. 157
48. बच्चों पर मत लादिए अपने सपनों का आकाश —Pgs. 160
49. परिणाम कैसा भी हो, अपने बच्चों का हौसला बनाए रखिए —Pgs. 163
50. कामकाजी माता-पिता अपने बच्चों के लिए समय जरूर निकालें —Pgs. 166
51. जीवन के अहम फैसले बच्चों पर थोपिए नहीं, फैसले लेने में मदद कीजिए —Pgs. 169
52. घर के झगड़ों का बच्चों के मन पर पड़ता है गहरा प्रभाव —Pgs. 172
53. बच्चों को शुरू से ढील देने की भूल बिगाड़ सकती है उनका भविष्य —Pgs. 175
54. बच्चों को चाहे रुपए कम दें, मगर प्यार भरपूर दें —Pgs. 178
55. बच्चों की जिद के आगे हार मानना ही बच्चों को बना देता है जिद्दी —Pgs. 181
56. किसी बच्चे को आप गोद लें या जन्म दें, सही ढंग से परवरिश करें —Pgs. 184
57. अनाथाश्रम के बच्चों से प्यार जताकर तो देखिए —Pgs. 187
58. शिशुकाल से ही पढ़ाएँ संस्कारों का पाठ —Pgs. 190
59. पिता और पति का फर्ज निभाइए —Pgs. 193
60. कंप्यूटर जरूर दीजिए पर नजर रखिए —Pgs. 196
61. बच्चों पर कुछ थोपिए नहीं —Pgs. 200
62. माता-पिता व बच्चों, दोनों को एक-दूसरे को समझने के लिए वक्त देना चाहिए... 203
वीना श्रीवास्तव
शिक्षा : एम.ए. (हिंदी, अंग्रेजी)।
प्रकाशन : तुम और मैं, मचलते ख्वाब, लड़कियाँ (कविता-संग्रह); शब्द संवाद (संपादन); अनुगूँज, खामोश, खामोशी और हम, ख्वाब ईसा हुए, साँसे सुकरात (साझा संकलन); हैरिटेज झारखंड की पत्रिका ‘भोर’ की संपादक।
सम्मान-पुरस्कार : ‘प्रमोद वर्मा युवा सम्मान’ (इजिप्ट), ‘साहित्य सरिता सम्मान’ (हंगरी), ‘साहित्य सरोज और शिक्षा प्रेरक सम्मान’, ‘सुभद्रा कुमारी चौहान सम्मान’, ‘नारी गौरव सम्मान’, ‘शिक्षा-साहित्य सेवा सम्मान’, ‘उत्कृष्ट कला सम्मान’ तथा अनेक प्रतिष्ठित राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय सम्मानों से अलंकृत।
अध्यक्ष—शब्दकार, सचिव—राष्ट्रीय कवि संगम (ग्रेटर राँची इकाई), सचिव (साहित्य)—हेरिटेज झारखंड, कार्यकारिणी सदस्य—एकल अभियान, कार्यकारिणी सदस्य—नारायणी साहित्य अकादमी, आजीवन सदस्य—झारखंड हिंदी साहित्य संस्कृति मंच।
संप्रति : सदस्य (झारखंड), पूर्वी क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र की कार्यकारी पार्षद।
संपर्क : सी-201, श्रीराम गार्डेन, काँके रोड, राँची-834008 (झारखंड)
मोबाइल : 9771431900
इ-मेल : veena.rajshiv@gmail.com
ब्लॉग : veenakesur.blogspot.com