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व्यवहारिक ज्ञान से संपन्न पतंजलि का ‘योगसूत्र’ उन लोगों के लिए मार्गदर्शक पुस्तक का कार्य करता है, जो शाश्वत सत्य की खोज में जुटे हैं। खोज करनेवाला साधक इसका अनुसरण और अभ्यास कर वास्तविक महात्मा बन सकता है। योगसूत्र एक दर्शन है, जो खोज करनेवालों को (आत्मा) पुरुष का रूप प्रत्यक्ष तौर पर दिखा देता है। जिस प्रकार एक दर्पण किसी के रूप को दिखाता है, उसी प्रकार योगसूत्रों के अनुसार पतंजलि की बताई योग-साधना करने से व्यक्ति को अपने अंदर एक महान् ऋषि जैसे गुण दिखाई पड़ते हैं।
योग एक विषय के रूप में किसी महासागर जितना विशाल है। व्यक्ति इसमें जितनी गहराई तक उतरता है, उसे गूढ़ रहस्यों का उतना ही ज्ञान होता जाता है, जो किसी के व्यक्तिगत ज्ञान से परे (अकल्पित ज्ञान) होता है। यह किसी भी व्यक्ति के मस्तिष्क की बुद्धि को और आध्यात्मिक हृदय के ज्ञान को धारदार बनाता है। इसका अभ्यास करनेवाले अपने अंदर सृजनात्मकता का विकास कर पाते हैं।
आप अपने दैनिक जीवन के हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त करने के लिए दृढ विश्वास के साथ योग का अभ्यास करें और सच्चे योगी तथा सच्चा मनुष्य बनने का सुफल प्राप्त करें।
जीवन को सार्थक दिशा देनेवाले सूत्रों का संकलन, जो आपके लिए स्वास्थ्य और सफलता के द्वार खोलेंगे।
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Content
1. Samadhi Pada — 15
2. Sadhana Pada — 56
3. Vibhooti Pada — 97
4. Kaivalya Pada — 117
जन्म 24 दिसंबर, 1918 को कर्नाटक के कोलार जिले के बेलूर नामक स्थान में हुआ। पंद्रह वर्ष की अल्पायु में योग सीखना प्रारंभ किया और 1936 में मात्र अठारह वर्ष की आयु में धारवाड़ के कर्नाटक कॉलेज में योग सिखाना प्रारंभ किया।
आजीवन योग के प्रति समर्पण एवं सेवाभाव के साथ निस्स्वार्थ कार्यरत; अनेक सम्मान एवं उपाधियों से विभूषित। वर्ष 1991 में ‘पद्मश्री’ और जनवरी 2002 में ‘पद्मविभूषण’ से सम्मानित। अगस्त 1988 में अमेरिका की ‘मिनिस्ट्री ऑफ फेडरल स्टार रजिस्ट्रेशन’ ने सम्मान-स्वरूप उत्तरी आकाश में एक तारे का नाम ‘योगाचार्य बी.के.एस. आयंगार’ रखा।
सन् 2003 में ‘ऑक्सफोर्ड इंग्लिश डिक्शनरी’ में आधिकारिक तौर पर नाम सम्मानित।
सन् 2004 में अमेरिकन ‘टाइम मैगजीन’ द्वारा ‘हीरोज एंड आइकंस’ उपशीर्षक से विश्व के सर्वाधिक शक्तिशाली और प्रभावशाली व्यक्तियों की सूची में सम्मिलित।
आधुनिक भारत के योग विषय के भीष्म पितामह के रूप में प्रसिद्धि। विश्व के अनेक ख्यात एवं लब्धप्रतिष्ठ व्यक्ति शिष्य रहे हैं।