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कमोडोर वी. एस. बबेले ने नौसैनिकों की हृदय नौकाओं के अद्भुत, दुःसाहस भरे दृश्य की एक झाँकी ‘पति, पत्नी और नौसेना’ में प्रस्तुत की है। इस कृति में नौसैनिक जीवन का शायद ही कोई प्रसंग अछूता रहा हो। कवि ने नौसैनिक जीवन की दूरी को निकटता में, वियोग को संयोग में, वेदना को मुस्कान में और कठोर अनुशासन भरे जीवन की नीरसता को मस्ती भरी सरसता में तब्दील कर दिया है। पति-पत्नी के बीच के संबंधों, नोक-झोक, कहासुनी और घात-प्रतिघातों को उन्होंने बड़ी कुशलता से उकेरा है।पति-पत्नी के बीच ‘नौसेना पत्नी कल्याण संघ’ (NWWA) के संयोग को बड़े ही रोचक ढंग से प्रस्तुत किया है। NWWA के उद्देश्य एवं कार्य पद्धति का चित्रण इस बात का प्रतीक है कि भारतीय नारियाँ हमेशा ही प्रेरणा स्रोत ही नहीं अपने कर्तव्यों द्वारा सारे समाज हेतु उदाहरण के रूप में उभरी है। नौसैनिक पत्नियों का सहयोग भारतीय नौसेना की प्रगति के लिए एक उद्दीप्त उदाहरण है।
मुझे पूरा विश्वास है कि कमोडोर बबेले की यह कृति नौसैनिकों के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे देशवासियों एवं सभी पाठकों के लिए प्रेरणा, आनंद और सुखद अनुभूति का विषय बनेगी।श्रीमती मधुलिका वर्मा
कमोडोर विजय शंकर बबेले ने भौतिक शास्त्र में एम.एस-सी. की डिग्री प्राप्त की तथा जनवरी 1980 में भारतीय नौसेना में कमीशन प्राप्त किया। नौसेना की विभिन्न स्थापनाओं, कैडेट प्रशिक्षण पोतों तथा विमानवाहक पोतों ‘विक्रांत’ व ‘विराट’ पर कार्यरत रहे। एन.डी.ए. पुणे में अनुदेशक, सैनिक स्कूल में प्रिंसीपल, नौसेना शिक्षा निदेशक, रक्षा मंत्रालय में सैनिक स्कूलों के निरीक्षण अधिकारी तथा पश्चिम नौसेना कमान मुंबई में कमान शिक्षा अधिकारी के महत्त्वपूर्ण पद सँभाले। वर्तमान में रक्षा मंत्रालय—एकीकृत मुख्यालय (नौसेना) में प्रधान निदेशक (मौसम एवं समुद्र विज्ञान) के पद पर कार्यरत।
कमोडोर बबेले ने नौसेना के अनेक महत्त्वपूर्ण कोर्स किए। वे नौसेनाध्यक्ष तथा फ्लैग अफसर कमान-इन-चीफ, पश्चिम नौसेना कमान द्वारा प्रशंसा-पत्र प्राप्त हैं। सैनिक स्कूलों के प्रति उनके विशिष्ट योगदान हेतु पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा प्रशंसा-पत्र प्राप्त तथा असैनिक संस्थाओं द्वारा ‘बाल सहयोग पुरस्कार’, ‘शिक्षा-रत्न सम्मान’, ‘डॉ. एस. राधाकृष्णन पुरस्कार’, ‘इंडिया इंटरनेशनल फ्रेंडशिप अवार्ड’ तथा ‘मदर टेरेसा एक्सीलेंस अवार्ड’ से सम्मानित।
लेखक को योग, तैराकी, दौड़, सेलिंग, पेंटिंग, सांस्कृतिक कार्यक्रमों में कुशलता एवं उपलब्धियाँ प्राप्त हैं। लेखन में विशेष रुचि। कई रचनाएँ विभिन्न पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रही हैं। ‘विराट के डेक से’ के बाद यह दूसरी कृति।