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‘‘मेरा प्राचीन नाम पाटलिपुत्र है। मैं विश्वविख्यात नगर हूँ। मैं जितना पुराना हूँ, मेरी दास्तान भी उतनी ही मनोरंजक एवं पुरानी है। मैं करीब एक हजार वर्षों तक प्राचीन भारत की राजधानी रहा। मैंने समय-समय पर अनेक कालजयी सम्राटों, राजाओं, योद्धाओं, चिंतकों, विद्वानों, विचारकों, संतों, समाज-सुधारकों एवं राजनीतिज्ञें को पनपाया, जिनकी अमिट छाप संपूर्ण भारत पर ही नहीं, देश के बाहर विदेशों में भी देखी गई।
मैं मौर्य तथा गुप्त साम्राज्यों की राजधानी बना। गंगा नदी के तट पर अवस्थित होने के कारण पाटलिपुत्र के बाहर के नगरों, अरब एवं यूरोपीय देशों के साथ मेरे व्यापारिक और सांस्कृतिक संबंध विकसित हुए। मैं बौद्ध एवं जैन धर्मों का प्रमुख केंद्र तो था ही, साथ ही दसवें सिख गुरु, ‘खालसापंथ’ के प्रवर्तक, गुरु गोविंद सिंह की जन्मभूमि रहा। आज मैं सिखों का प्रमुख तीर्थस्थान हूँ।
इतिहास के पन्नों को पलटें तो पाएँगे कि अपना उत्थान-पतन मैंने जितनी बार देखा, उतना शायद और किसी नगर ने नहीं देखा होगा। अनेक बार मैं उजड़ा, बना, बसा और पुनः धराशायी हो गया। आज भी मेरे यहाँ की पुरानी भव्य इमारतें, मंदिर, मसजिद, मजार तथा भग्नावशेष बिन बोले मेरी कथा सुना रहे हैं।
सत्ता के लिए महलों में होती साजिशोें, सत्ता परिवर्तनों, समय-समय पर विदेशी शासकों के मगध पर आधिपत्य जमाने के प्रयासों के पश्चात् पार्टी व्यवस्था की उथल-पुथल ने उद्वेलित किया। इसी का परिणाम है पुस्तक ‘पाटलिपुत्र की कहानी, पटना की जुबानी’।
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अनुक्रम
स्वत्व त्याग — Pg. 5
मैं पटना बोल रहा हूँ — Pg. 7
प्रस्तावना — Pg. 9
आभार — Pg. 13
1. पाटलिपुत्र की कहानी, पटना की जुबानी — Pg. 19
2. भगवान् बुद्ध का आगमन — Pg. 23
3. मौर्यकालीन पाटलिपुत्र — Pg. 32
4. स्थूलिभद्र एवं कोशा — Pg. 37
5. गुप्तकाल एवं गुप्तकालीन पाटलिपुत्र — Pg. 44
6. विदेशी यात्रियों एवं विद्वानों के आगमन — Pg. 54
7. पाटलिपुत्र का पतन — Pg. 62
8. अजीमाबाद मुगलकाल में पटना अंग्रेजों का आगमन — Pg. 64
9. अरबी, फारसी, उर्दू भाषा का बोलबाला, शेरो-शायरी, कविता का रंग, अजीमाबादी शायर — Pg. 78
10. पटना-कलम शैली (चित्रकला) — Pg. 84
11. पटना साहित्य-शायर-साहित्यकार एवं पत्र-पत्रिकाएँ — Pg. 91
12. पाटलिपुत्र से पटना काल में संगीत-नृत्य-महफिलें एवं नृत्यांगनाएँ-रंगकर्म — Pg. 103
13. प्रतीक स्थल — Pg. 112
14. अबुल हसन एवं अदुल लतीफ की नजर में पटना — Pg. 141
संदर्भ-सूची — Pg. 157
डॉ. उर्मिला सिंह
भूतपूर्व व्याख्याता—अर्थशास्त्र, गवर्नमेंट वीमेंस कॉलेज, गुलजारबाग, पटना।
सीताशरण सिंह
शिक्षा : लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स (स्नातक) एवं यूनिवर्सिटी ऑफ एक्रान एवं सिनसिनाटी (अमेरिका)।
गंगा किनारे स्थित पटना नगर में आधी शताब्दी से अधिक निवासोपरांत प्रस्तुत पुस्तक ‘पाटलिपुत्र की कहानी पटना की जुबानी’ के लेखन एवं संयोजन में साझा किया। संप्रति मैंनेजमेंट कंसल्टेंट।