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व्यक्ति की सफलता की पहली सीढ़ी उसके अपने व्यक्तित्व या पर्सनैलिटी से होकर गुजरती है। किसी से भेंट-मुलाकात के समय सबसे पहले जो चीज दिखाई देती है, वह आपका व्यक्तित्व ही होता है। व्यक्तित्व वह दर्पण है जो हमारे अंतर्मन की तसवीर होता है। ध्यान दें कि उजाले की एक महीन किरण भी अँधेरे को चीरकर रख देती है।
क्रोध, हीन-भावना, अविश्वास, नकारात्मक सोच, ईर्ष्या-द्वेष, अस्थिरता, अधीरता, आलस्य, असमर्पण इत्यादि दोष व्यक्तित्व विकास के सबसे बड़े अवरोधक हैं। इनकी छाया भी अपने पर न पड़ने दें और केवल अपने लक्ष्य पर दृष्टि रखें। आपका लक्ष्य होना चाहिए—पॉजिटिव पर्सनैलिटी डेवलपमेंट यानी सकारात्मक व्यक्तित्व विकास।
पर्सनैलिटी डेवलपमेंट गाइड में उन तमाम तत्त्वों की चर्चा है, जिनके द्वारा आप सहजता से स्वयं को ‘साधारण’ से ‘विशेष’, ‘नैगेटिव’ से ‘पॉजिटिव’ और ‘अप्रभावी’ से ‘प्रभावी’ व्यक्तित्व में ढाल सकते हैं, अपनी पर्सनैलिटी को निखार सकते हैं। बिलकुल आसान है ऐसा करना—आरंभ तो कीजिए।
बाल्यकाल से ही लेखन का शौक। पठन-पाठन, खेलों, डिबेट तथा संगीत में गहरी रुचि। बच्चों को चित्रकला तथा संगीत सिखाने के साथ उनके संपूर्ण व्यक्तित्व को निखारने के लिए कक्षाएँ चलाते हैं।