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Phir Ek Dopahar Aur Anya Kahaniyan   

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Author Sanjeev Sanyal
Features
  • ISBN : 9789352669561
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1st
  • ...more
  • Kindle Store

More Information

  • Sanjeev Sanyal
  • 9789352669561
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1st
  • 2018
  • 208
  • Hard Cover

Description

उस भारत की एक मनोरंजक और अचरज भरी यात्रा, जिसे आप सोचते थे कि आप जानते हैं।
‘भारतीय भूगोल का संक्षिप्त इतिहास’ के लोकप्रिय लेखक संजीव सान्याल अपनी असाधारण कहानियों से पाठकों को मंत्रमुग्ध कर देते हैं। उनकी चिरपरिचित दिलचस्प शैली में लिखी गई उनकी कहानियाँ परिहास से भरी हैं। 
‘मैं यहाँ हूँ अभी भी’ में इंटरनेट को बेनकाब करने निकले ढीठ ब्लॉगर को अपनी बरबादी का सामना करना पड़ता है। एक कहानी में एक युवक वित्तीय संकट के दौरान अपनी नौकरी गँवा देता है और दो बीयर के साथ अपने जीवन को फिर से पटरी पर लाने का प्रयास करता है। ‘बुद्धिजीवी’ में एक विदेशी शोधकर्ता कोलकाता के ढलती उम्र के बुद्धिजीवियों के बीच कुछ यादगार पल बिताता है। मुंबई हाउसिंग सोसाइटी की गंदी राजनीति से लेकर दिल्ली के कॉकटेल सर्किट के दंभ तक ‘दो बीयर का जीवन’ तेजी से बदलते भारत की तह तक जाता है और आपको हँसने पर विवश कर देता है। 
रंग-बिरंगे सामाजिक परिवेश से सरोकार कराती पठनीयता से भरपूर रोचक-रोमांचक कहानियों का संकलन।

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अनुक्रम

लेखकीय —Pgs. 7

1. पुरानी कारों का विक्रेता —Pgs. 13

2. मैं यहाँ हूँ अभी भी —Pgs. 35

3. निषिद्ध यादें  —Pgs. 51

4. झील के पास बेंच —Pgs. 55

5. फिर एक दोपहर  —Pgs. 67

6. पुनर्मिलन —Pgs. 95

7. रखवाला —Pgs. 107

8. कोई फैसला सुनाने से पहले —Pgs. 117

9. कॉन्फ्रेंस कॉल —Pgs. 121

10. बुद्धिजीवी —Pgs. 127

11. गोधूलि वेला में प्रतीक्षा  —Pgs. 139

12. किताबें —Pgs. 145

13. निर्वासन —Pgs. 163

14. देह-द्रवों में क्रांति —Pgs. 167

15. ड्राइवर्स —Pgs. 181

16. कल्पना की वापसी —Pgs. 197

The Author

Sanjeev Sanyal

संजीव सान्याल एक अर्थशास्त्री, विचारक और लेखक हैं। वे सिक्किम, कलकत्ता और दिल्ली में पले-बढ़े और फिर रोड्स के छात्र के रूप में ऑक्सफोर्ड चले गए। 
संजीव ने अपने जीवन का अधिकांश समय अंतरराष्ट्रीय वित्त बाजारों से जूझते हुए बिताया, जिनमें से कुछ वर्ष मुंबई और काफी सिंगापुर में बीते। वर्ष 2008 में, बस अपनी मर्जी से ही, एक दिन उन्होंने भारत लौटने और पूरे परिवार के साथ देश भर में घूमने का फैसला किया। इसका परिणाम उनकी दूसरी बेहद लोकप्रिय पुस्तक ‘लैंड ऑफ द सेवन रिवर्स’ के रूप में सामने आया। फिर वर्ष 2011 में बिना किसी विशेष कारण के वे वित्त क्षेत्र में लौटे और दुनिया के सबसे बड़े बैंकों में से एक में वैश्विक रणनीतिकार की भूमिका निभाई। उन्होंने अगले कुछ वर्ष हिंद महासागर के तटीय देशों ओमान, श्रीलंका, जंजीबार, वियतनाम, इंडोनेशिया से लेकर भारत के तट तक बिताए। इन यात्राओं के फलस्वरूप ‘द ओशन ऑफ चर्न: हाउ द इंडियन ओशन शेप्ड ह्यूमन हिस्टरी’ सामने आई।
वर्तमान में संजीव नई दिल्ली में रहते हैं, जहाँ वे भारत सरकार के प्रमुख आर्थिक सलाहकार की भूमिका निभा रहे हैं।

 

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