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यह संग्रह विशुद्ध बालगीत-संग्रह है, ऐसा नहीं। चूँकि किशोर भविष्य की दहलीज के रूप में होते हैं, इसलिए बच्चों के साथ-साथ किशोर युवाओं को भी ध्यान में रखा गया है। कुछ कविताएँ इसमें विशुद्ध मनोरंजकपरक हैं तो कुछ उद्देश्यपरक और ज्ञानवर्द्धक भी। नैतिकता, संस्कार और संवेदना की बात करते हुए इसमें मानवता को सर्वोपरि रखा है।
इस संग्रह में उन बच्चों के लिए कुछ प्रेरणादायी गीत भी हैं, जो जीवन से हताश-निराश हैं, असफल हैं और बेरोजगार हैं। शायद इन गीतों को पढ़कर उन्हें प्रेरणा मिले। वैसे इससे पूर्व भी लगभग सभी कवियों ने ऐसे गीतों की रचना की है, लेकिन अगर इन गीतों से किसी को दिशा मिली तो लेखिका के जीवन की यह सबसे बड़ी उपलब्धि होगी। प्रेरणा का स्रोत कहीं और नहीं, खुद के भीतर होता है।
कारण जो भी हो, फिर भी ऐसे हजारों कुंठित, हताश, निराश, भटके हुए लोगों से यही कहना कि निराश मत हों। लड़ाई चाहे जिसके खिलाफ हो, लड़ते रहना चाहिए। हारकर आत्महत्या करना या चुप बैठ जाना, किसी समस्या का समाधान नहीं। रास्ते कभी बंद नहीं होते, मंजिल कितनी भी ऊँची हो, रास्ते हमेशा कदमों के नीचे ही रहते हैं। इसलिए कदमों को मजबूत बनाइए, रास्तों को मजबूत मत होने दीजिए।
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अनुक्रम | |
मन की बात—7 | 33. स्वच्छ सुराज बनाओ—77 |
1. विद्या का दान—17 | 34. दो आशीष मुझे बढ़कर—78 |
2. घट-घट वासी राम हमारे—19 | 35. डंडी और पिटाई—81 |
3. अभिषेक—21 | 36. गाँव के घर का अपनापन—83 |
4. वही इन्सान है, वही इन्सानियत है—22 | 37. बूढ़े दादा—85 |
5. बँदरिया-बंदर—24 | 38. यह दुनिया धोखे की दुनिया—87 |
6. मेरे दादा की फुलबगिया—26 | 39. आज तो है दशहरा—88 |
7. तितली—27 | 40. परिवार को है नमन—89 |
8. श्यामा गाय—29 | 41. बहता मलय पवन—91 |
9. वीर भगतसिंह—30 | 42. शीश चढ़ाने कौन चलेगा—92 |
10. सेनानी हैं—32 | 43. मनभावन मेला—93 |
11. जीना है—33 | 44. सूर्य बनकर जगमगाओ—95 |
12. विजय का रथ—35 | 45. जीत का मंत्र—97 |
13. हम भारत के वीर बाल—38 | 46. मन चंदन—99 |
14. कुछ अनुभव तुम ज्ञात करो—39 | 47. एकता के बन पुजारी—100 |
15. तीर्थराज प्रयाग—41 | 48. चिडि़या रानी—102 |
16. ओ पर्वतेश—43 | 49. भारत का सत्य निरुपण—103 |
17. मेला—45 | 50. भाई-भाई—104 |
18. गंगा की कथा—47 | 51. कु मेरा चौकीदार—105 |
19. भारत के भाल हो—49 | 52. पिहुँ बोले—107 |
20. प्रखर—51 | 53. शासन सा—109 |
21. प्रतिज्ञा—53 | 54. नाम है पलक हमारा—110 |
22. विद्यार्थी हैं—55 | 55. कबीर-उत्कर्ष—112 |
23. भारत देश—56 | 56. मदन गड़रिया—113 |
24. महको-महकाओ—58 | 57. हमारा स्कूल—115 |
25. हम हैं बहती धवलित धारा—60 | 58. प्रेरणा—116 |
26. पढ़ो-पढ़ाओ—62 | 59. चूहा-बिल्ली—117 |
27. किंचित् मानो हार नहीं—64 | 60. सम्मान हो—118 |
28. तुम भारत के भव्य भाग्य हो—66 | 61. हम हिंदुस्तानी—119 |
29. माँ के स्वर —68 | 62. सम्राट् अशोक—120 |
30. सूई ने चार बजाए—71 | 63. हमारा देश—122 |
31. अश्रु रतन बरसाओ—73 | 64. बनो विशाल वृक्ष से—124 |
32. चार सौगात—75 | 65. मेरे पापा—126 |