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विद्यार्थियों के लिए कोश बनाना अधिक कठिन कार्य है। पहले तो प्रविष्टियों के रूप में उन्हीं शब्दों को ग्रहण किया जाना चाहिए जो उनकी पाठ्य-पुस्तकों में प्रयुक्त हों और दूसरे, उनके वही या उतने ही अर्थ लिये जाने चाहिए जिनका उनसे प्रयोजन हो। तीसरे, अर्थ-विवेचन में ऐसे सरल शब्दों का प्रयोग हो जिनका ज्ञान सामान्यत: विद्यार्थियों को रहता है। प्रस्तुत कोश का निर्माण करते समय इन बातों का ध्यान रखा गया है।
भाषिक-सामर्थ्य सफल जीवन-निर्वाह का मूल्य उपकरण है। इस उपकरण की प्राप्ति शब्दों के उपयुक्त अर्थों और प्रयोगों की सिद्धि से ही संभव है। विश्वास है, प्रस्तुत कोश विद्यार्थियों के लिए बहूपयोगी होने के साथ ही उनके शब्द-ज्ञान में वृद्धि करते हुए उसे समृद्ध करने में सहायक सिद्ध होगा।
कोश कला के आचार्य श्री रामचंद्र वर्मा के सुयोग्य शिष्य डॉ. बदरीनाथ कपूर हिंदी की शब्द सामर्थ्य को प्रकट और प्रतिष्ठापित करने के अनुष्ठान में आधी सदी से जुटे हुए हैं। डॉ. कपूर की अब तक 32 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं जिनमें से अधिकांश शब्दकोश, 3 जीवनियाँ और 5 अनुवाद ग्रंथ हैं। डॉ. कपूर ने आचार्य रामचंद्र वर्मा के तीन महत्त्वपूर्ण कोशों का संशोधन-परिवर्द्धन कर उनकी स्मृति और अवदान को अक्षुण्ण बनाए रखने का स्थायी महत्त्व का कार्य किया है।