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लोककथाएँ जन-जीवन का प्रामाणिक दस्तावेज होती हैं। इस दस्तावेज को हर पीढ़ी जातिगत धरोहर की तरह अगली पीढ़ी को सौंपती जाती है। समय का अंतराल लाँघकर हमें हमारे अतीत से जोड़ती मजबूत कड़ियाँ हैं— लोककथाएँ। नागालैंड में आज भी सफेद काचू की लकड़ियों के लाल होने को हनचीबीली की दुष्टता के दंड से जोड़ा जाता है। मेघालय की रांग्गीरा पहाड़ियों के उत्तर-पश्चिम में सिंगविल की जलधारा अपनी कल-कल में सिंगविल कर पाति परायणता की गाथा कहती है। जयंती देवी के अंतर्धान होने का स्थान मुक्तापुर है और उनकी कांस्य प्रतिमा की पूजा जयंतिया लोग आज भी करते हैं। पर्वतों की ऊँचाई से गिरते ‘क-क्षायेद यू-रेन’ के पानी से आज भी यू-रेन के शोकपूर्ण उच्छ्वासों के स्वर सुनाई देते हैं। मिजोरम के वांकल, सैलुलक गाँवों में आदि पुरुष छूराबुरा के औजार रखे हुए हैं तथा त्रिपुरा में नाआई पक्षियों में कसमती का होना पीतवर्णी नदी के अस्तित्व के साथ जुड़ा हुआ है। लोककथाओं के तिलिस्मी संसार का जादू सबके सिर चढ़कर बोलता है। बच्चों व किशोरों को ये अपने इंद्रजाल से कल्पनाओं के नए-नए लोकों में पहुँचा देती हैं; युवाओं, प्रौढ़ाां और वृद्धों को चिंतन के ऐसे अनदेखे द्वीपों पर ले जाती हैं, जहाँ किसी भी समाज की सांस्कृतिक परंपराओं और जीवन-मूल्यों को उनके ही संदर्भों से जोड़कर पहचानने और समझने की सम्यक् दृष्टि मिलती है।
पूर्वोत्तर के जीवन का संगोपांग दिग्दर्शन कराती मनोरंजन से भरपूर लोककथाएँ।
स्वर्ण अनिलशिक्षा : स्नातक, स्नातकोत्तर, बी. एड., एम.ए.; ‘हिंदी साहित्य के विश्लेषण में कंप्यूटरीकृत अध्ययन की संभावनाएँ और सीमाएँ’ विषय पर शोध प्रबंध।
प्रकाशन : 16 वर्ष की उम्र में ‘कादंबिनी’ मासिक पत्रिका में प्रकाशित कविता ‘साथ चलता जुलूस’ के साथ साहित्यिक जीवन का प्रारंभ।
पत्र-पत्रिकाओं में काव्य एवं गद्य रचनाओं का प्रकाशन; ‘वनांचल की पाती’ मासिक पत्रिका का संपादन। ‘बंद मुट्ठी की रेत’ काव्य संग्रह।
कृतित्व : रेडियो धारावाहिक आसाम, मणिपुर, मिजोरम की लोककथाओं पर आधारित धारावाहिकों, पूर्वोत्तर में रामायण की परंपरा और ‘शाहनामा’ (जम्मू व कश्मीर) की लोककथाओं पर आधारित धारावाहिकों का लेखन व निर्माण।दूरदर्शन धारावाहिक/टेलीफिल्म पर्यावरण संरक्षण, विकलांगता, कश्मीर, नई पीढ़ी की दुविधा जैसे ज्वलंत व संवेदनशील विषयों पर बने धारावाहिक और टेलीफिल्में—वनकन्या, जवाब दो, इनसानी रिश्ते, आशा, खबर, नई दिशा आदि।