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सूक्तियाँ गागर में सागर भरे वे शब्द समूह हैं, जो सीधे मर्म पर चोट करते हैं। इन शब्दों में ऐसी शक्ति होती है कि ये इनसान को सोचने के लिए मजबूर कर देते हैं और कई बार वह क्षण जीवन का महत्त्वपूर्ण मोड़ साबित होता है, जो जीवन की दशा और दिशा को बदलकर रख देता है, यह व्यक्ति का मानो नया जन्म होता है; उसका चीजों को देखने का दृष्टिकोण पूरी तरह बदल जाता है। महात्मा बुद्ध के कुछ सूक्ति वाक्य ज्यों अंगुलिमाल का हृदय परिवर्तित कर देते हैं और वह डाकू से संत बन जाता है; सूक्तियाँ कुछ यों ही मन पर गहरा प्रभाव छोड़ती हैं।
प्रस्तुत पुस्तक में दुनिया भर के महान् विचारकों की सूक्तियों का संकलन किया गया है, जो प्रबुद्ध पाठकों के लिए निश्चित ही उपयोगी सिद्ध होगा।
हिंदी के प्रतिष्ठित लेखक महेश दत्त शर्मा का लेखन कार्य सन् 1983 में आरंभ हुआ, जब वे हाईस्कूल में अध्ययनरत थे। बुंदेलखंड विश्वविद्यालय, झाँसी से 1989 में हिंदी में स्नातकोत्तर। उसके बाद कुछ वर्षों तक विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं के लिए संवाददाता, संपादक और प्रतिनिधि के रूप में कार्य। लिखी व संपादित दो सौ से अधिक पुस्तकें प्रकाश्य। भारत की अनेक प्रमुख हिंदी पत्र-पत्रिकाओं में तीन हजार से अधिक विविध रचनाएँ प्रकाश्य।
हिंदी लेखन के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए अनेक पुरस्कार प्राप्त, प्रमुख हैं—मध्य प्रदेश विधानसभा का गांधी दर्शन पुरस्कार (द्वितीय), पूर्वोत्तर हिंदी अकादमी, शिलाँग (मेघालय) द्वारा डॉ. महाराज कृष्ण जैन स्मृति पुरस्कार, समग्र लेखन एवं साहित्यधर्मिता हेतु डॉ. महाराज कृष्ण जैन स्मृति सम्मान, नटराज कला संस्थान, झाँसी द्वारा लेखन के क्षेत्र में ‘बुंदेलखंड युवा पुरस्कार’, समाचार व फीचर सेवा, अंतर्धारा, दिल्ली द्वारा लेखक रत्न पुरस्कार इत्यादि।
संप्रति : स्वतंत्र लेखक-पत्रकार।