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औद्योगिक क्रांति के कारण सभी बड़े देश ऐसे उपनिवेश चाहते थे, जहाँ से वे कच्चा माल पा सकें तथा मशीनों से बनाई हुई वस्तुएँ बेच सकें। इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए सैनिक शक्ति बढ़ाई गई और गुप्त कूटनीतिक संधियाँ की गईं। इससे राष्ट्रों में अविश्वास और वैमनस्य बढ़ा और युद्ध अनिवार्य हो गया। ऑस्ट्रिया के सिंहासन के उत्तराधिकारी आर्क ड्यूक फर्डिनेंड और उनकी पत्नी की हत्या इस युद्ध का तात्कालिक कारण था। ऑस्ट्रिया ने सर्बिया के विरुद्ध युद्ध घोषित कर दिया। रूस, फ्रांस और ब्रिटेन ने सर्बिया की सहायता की और जर्मनी ने ऑस्ट्रिया की। यह महायुद्ध यूरोप, एशिया व अफ्रीका तीन महाद्वीपों और जल, थल तथा आकाश में लड़ा गया। प्रारंभ में जर्मनी की जीत हुई। 1917 में जर्मनी ने अनेक व्यापारी जहाजों को डुबोया। इससे अमरीका ब्रिटेन की ओर से युद्ध में कूद पड़ा, किंतु रूसी क्रांति के कारण रूस महायुद्ध से अलग हो गया। सन् 1918 में ब्रिटेन, फ्रांस और अमरीका ने जर्मनी आदि राष्ट्रों को पराजित किया। जर्मनी और ऑस्ट्रिया की प्रार्थना पर 11 नवंबर, 1918 को युद्ध की समाप्ति हुई।
युद्धों से कभी किसी का भला नहीं हुआ। ये तो विनाश-सर्वनाश के कारण हैं। किसी भी सभ्य समाज में युद्धों का कोई स्थान नहीं है; और इन्हें किसी भी कीमत पर रोका जाना चाहिए। इस पुस्तक का उद्देश्य भी यही है कि विश्वयुद्धों की विभीषिका से सीख लेकर हम युद्धों से तौबा कर लें और ऐसी परिस्थितियाँ पैदा न होने दें, जो युद्धों का जन्म दें। मानवीय संवेदना और मानवता को बचाए रखने का विनम्र प्रयास है यह पुस्तक।
कैप्टेन राजपाल सिंह ने दिल्ली के प्रतिष्ठित श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स तथा दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से शिक्षा प्राप्त की, एल-एल.बी. के बाद एम.बी.ए. किया। गत सोलह वर्षों से FICCI में कार्यरत हैं। भारत सरकार के अनेक मंत्रालयों के 9-11 पंचवर्षीय योजनाओं से संबद्ध रहे। अंतरराष्ट्रीय मुददों व सैन्य इतिहास के अलावा खेलों व नई टेक्नोलॉजी में उनकी विशेष अभिरुचि है।
सन् 2004 में प्रादेशिक सेना (टेरीटोरियल आर्मी) में सम्मिलित हुए। युवाओं को आकर्षित करने के लिए वे प्रादेशिक सेना की विभिन्न प्रसार सामग्री के पोस्टर बॉय रहे हैं। वर्तमान में वे सिख रेजीमेंट की 124 इन्फैंट्री बटालियन (TA) से संबद्ध हैं।
कैप्टेन राजपाल ने टेलीकॉम, सूचना प्रौद्योगिकी व खेलों के क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभाई है। उन्होंने खेलों के प्रचार-प्रसार के लिए भारत सरकार द्वारा गठित अनेक कमेटियों में FICCI का प्रतिनिधित्व किया है। साथ ही भारतीय ओलंपिक संघ, स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया, कॉमनवैल्थ गेम्स आयोजन समिति तथा नैशनल स्पोर्ट्स फाउंडेशन में व्यक्तिगत तथा संस्थागत स्तर पर सक्रिय भूमिका निभाई है।
राष्ट्रीय स्तर के जूडो खिलाड़ी रहे ब्लैक बैल्ट कैप्टेन राजपाल ने जूडो में भारत का प्रतिनिधित्व किया है। वे श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स के खेल सचिव रहे तथा दिल्ली जूडो काउंसिल एवं जूडो फेडरेशन ऑफ इंडिया में भी सक्रिय भूमिका निभाई।