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छोटे मुँह बड़ी बात’ कहनेवाली कहानी के बारे में प्रायः ‘बड़े मुँह छोटी बात’ कही जाती है। कहानी का दुर्भाग्य है कि यह मनोरंजन के रूप में पढ़ी जाती है और शिल्प के रूप में आलोचित होती है। कहानी में अनेक आलोचकों की दिलचस्पी इतनी ही है कि यह साहित्य का एक रूप है। इसलिए कहानी की ओर ध्यान जाता है—या तो इतिहास लिखते समय या फिर साहित्यिक रूपों का शास्त्रीय विवेचन करते समय। जहाँ साहित्य के मान और मूल्यों की चर्चा होती है, वहाँ कहानियों को प्रायः हाशिए पर रखा जाता है। ‘प्रतिनिधि महिला कहानियाँ’ आलोचकों की इस धारणा को निर्मूल सिद्ध करती हैं। यदि आप मन्नू भंडारी, मालती जोशी, चित्रा मुद्गल, मृदुला सिन्हा, मृदुला गर्ग, सूर्यबाला, राजी सेठ, चंद्रकांता, मेहरुन्निसा परवेज एवं विद्या बिंदु सिंह की कहानियों को पढ़ते हैं तो आपको न केवल 21वीं सदी की कहानियों का आस्वाद प्राप्त होता है, वरन् 20वीं सदी की कहानियों के रचनाविधान का अक्स भी परिलक्षित होता है। इस संकलन में एक से बढ़कर एक श्रेष्ठ कहानियों को माला के रूप में गूँथा गया है। इन कहानियों के बगैर हिंदी कहानी का इतिहास कभी पूरा नहीं हो सकता।
जन्म : 15 नवंबर, 1967
शिक्षा : एम.ए., हिंदी साहित्य में स्वर्णपदक, बी.एड., पी-एच.डी.।
यू.जी.सी. द्वारा वित्त-पोषित लघु शोध परियोजना के अंतर्गत ‘बघेली काव्य का वैभव एवं विकास’, ‘जनसंचार माध्यमों में हिंदी की दशा एवं दिशा’ तथा ‘20वीं सदी की हिंदी आलोचना का अनुशीलन’ विषय पर शोध-कार्य पूर्ण। 7 पुस्तकें तथा अनेक पत्रिकाओं में लेख प्रकाशित। हिंदी अनुशीलन, अंतरराष्ट्रीय संदर्भित शोध पत्रिका ‘भारतीय हिंदी परिषद् प्रयाग’ का संपादन। विभिन्न राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठियों एवं अकादमिक स्टाफ कॉलेज-यू.जी.सी.-एच.आर.डी.सी. में स्रोतविद् के रूप में व्याख्यान; पत्र-पत्रिकाओं में शोध-आलेख का प्रकाशन तथा विभिन्न राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठियों का संयोजन।
सदस्य : केंद्रीय शिक्षा मंडल, आगरा, केंद्रीय अध्ययन मंडल, मध्य प्रदेश, अध्ययन मंडल, बरकतउल्ला शिक्षा साहित्य, एन.सी.सी. व एन.एस.एस. की अनेक संस्थाओं से सक्रिय संबद्धता। अनेक विशिष्ट सम्मानों से अलंकृत।
संप्रति : प्रोफेसर, हिंदी संकाय, मानविकी विद्यापीठ, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय, मैदान गढ़ी, नई दिल्ली-11006