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प्राचीन काल से ही भारत में मेलों का प्रचलन रहा है। देश के कोने-कोने में विभिन्न प्रकार के मेलों का आयोजन आज भी होता है। इनमें कुछ सामाजिक मेले, कुछ धार्मिक मेले तथा कुछ मात्र वस्तुओं और पशु-पक्षियों के क्रय विक्रय तक ही सीमित हैं। परंतु कुंभ मेला उच्च स्तर की आस्था वाला आध्यात्मिक मेला है। इसका प्रभाव विश्वव्यापी है।
कुंभ मेले के आयोजन की परंपरा हजारों साल से चली आ रही है। यह वेदों के समय से ही प्रचलित है। लाखों की संख्या में वृद्ध, युवा, स्त्री-पुरुष, स्वस्थ, अपंग, कमजोर, सशक्त बेझिझक इस समागम में अध्यात्म एवं पुण्य लाभ उठाने आते हैं। कुंभ पर्व एक ऐसा अमूल्य अवसर है, जहाँ भारत के सभी बड़े धार्मिक आचार्यों, संत-महात्माओं के ज्ञान और विचारों का ज्ञान लाभ हमें मिलता है। अधिकतर श्रद्धालु यहाँ कर्म और मोक्ष के सिद्धांतों को जानने, गंगास्नान कर अपने जीवन को सार्थक करने आते हैं। कुंभ की महिमा वर्णनातीत है।
भारतीय संस्कृति एवं आध्यात्मिकता का कल्याणकारी संदेश देनेवाले कुंभ महापर्व की विस्तृत जानकारी देनेवाली एक उपयोगी पुस्तक।
मूलतः उत्तराखंड के रहने वाले पंकज विशेष शोधपरक और खोजी पत्रकारिता का जाना-पहचाना नाम हैं। छात्र जीवन में पहले राजनीति का चस्का लगा और फिर लिखने का। कुमाऊँ विश्वविद्यालय से शुरुआती पढ़ाई के बाद जामिया मिलिया इस्लामिया से पत्रकारिता के गुर सीखे। साल 2001 में जनसरोकारों से जुड़े पाक्षिक अखबार ‘नैनीताल समाचार’ से पत्रकारिता शुरू की और इसे पेशा मान लिया। ‘हिमालयी भारत’, ‘उत्तर उजाला’, ‘दैनिक जागरण’ को सेवाएँ देने के बाद 2006 में ‘हिंदुस्तान’ से जुड़े। ‘गौला नदी के खनन माफिया, राजनीति और अफसरशाही के गठजोड़’ उजागर करती तथ्यपरक समाचार श्रृंखला के लिए प्रतिष्ठित ‘उमेश डोभाल स्मृति युवा पत्रकारिता सम्मान’ से सम्मानित किया गया। बागेश्वर, हल्द्वानी, दिल्ली, आगरा, वाराणसी और फिर इलाहाबाद। रिपोर्टिंग से कॉरिअर की शुरुआत करने वाले पकंज फिलहाल इलाहाबाद में ‘हिंदुस्तान’ के डिप्टी न्यूज एडीटर हैं।
स्थाई संकर्प : प्रेम सदन, कृष्ण विहार, कैनाल रोड, काठगोदाम (नैनीताल) उत्तराखंड।
इ-मेल : pankajvishesh@gmail.com