Prabhat Prakashan, one of the leading publishing houses in India eBooks | Careers | Events | Publish With Us | Dealers | Download Catalogues
Helpline: +91-7827007777

Premchand Kahani Kosh   

₹500

Out of Stock
  We provide FREE Delivery on orders over ₹1500.00
Delivery Usually delivered in 5-6 days.
Author Kamal Kishore Goenka
Features
  • ISBN : 9789351866237
  • Language : Hindi
  • ...more
  • Kindle Store

More Information

  • Kamal Kishore Goenka
  • 9789351866237
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 2016
  • 354
  • Hard Cover

Description

प्रेमचंद जन्म-शताब्दी’ (1980-81) के अवसर पर कई राष्ट्रीय महत्त्व के कार्य हुए। इनमें मेरे द्वारा स्थापित ‘प्रेमचंद जन्म-शताब्दी राष्ट्रीय समिति’, दिल्ली के गठन के साथ ‘प्रेमचंदः विश्वकोश’ (खंड एक व दो) का प्रकाशन तथा अमृतराय द्वारा इसका लोकार्पण विशेष रूप से उल्लेखनीय है। इस शताब्दी-वर्ष में मैंने लगभग 50 हिंदी पत्र-पत्रिकाओं के विशेषांक निकलवाए और मॉरीशस में शताब्दी-समारोह में जैनेंद्र के साथ मैंने भारतीय प्रतिनिधि के रूप में भाग लिया। ‘प्रेमचंद : विश्वकोश’ के खंडों का हिंदी-समाज में व्यापक रूप से स्वागत किया। इसके दूसरे खंड में प्रेमचंद साहित्य का तथ्यात्मक परिचय और सारांश दिया गया था, अर्थात् उनके उपन्यासों, कहानियों, नाटकों, अनुवादों, पत्र-संग्रहों, बाल-पुस्तकों आदि की पूर्ण तथ्यात्मक जानकारी दी गई थी, जिससे पाठक उनकी प्रत्येक रचना से, चाहे वह छोटा हो या बड़ा अथवा उच्चकोटि की हो या साधारण, सभी के संबंध में जानकारी प्राप्त कर सकें और उनका सारांश भी वह कृति/रचना को मूल रूप में पढ़े बिना जान सकें। ‘प्रेमचंद : विश्वकोश’ का हिंदी-संसार ने बड़ा स्वागत किया और आज भी उसकी माँग बराबर बनी हुई है।
 ‘प्रेमचंद : विश्वकोश’ के दूसरे खंड में, जिसे ‘प्रेमचंद के साहित्य’ के रूप में प्रस्तुत किया था, प्रेमचंद की उपलब्ध कहानियों का तथा मेरे द्वारा खोजी गई कुछ कहानियों का भी तथ्यात्मक परिचय एवं सारांश दिया गया था, परंतु उसके  बाद मुझे प्रेमचंद की कुछ और लुप्त एवं दुर्लभ कहानियाँ मिलती रहीं और वे सब ‘पे्रमचंद का अप्राप्य साहित्य’ (1988) में प्रकाशित की गईं। इस प्रकार ‘मानसरोवर’ की 203 कहानियाँ तथा अमृतराय के ‘गुप्तधन’ में प्रकाशित 56 कहानियों के बाद कुल उपलब्ध कहानियों की संख्या 299 हो गई। 

____________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________

अनुक्रम

भूमिका — Pgs. 5

संकेत सूची — Pgs. 9

अ — Pgs. 13

आ — Pgs. 27

इ — Pgs. 42

ई — Pgs. 44

उ — Pgs. 47

ए — Pgs. 50

ऐ — Pgs. 52

औ — Pgs. 53

क — Pgs. 53

ख — Pgs. 76

ग — Pgs. 86

घ — Pgs. 100

च — Pgs. 104

ज — Pgs. 109

झ — Pgs. 121

ट — Pgs. 122

ठ — Pgs. 122

ड — Pgs. 123

ढ — Pgs. 126

त — Pgs. 127

द — Pgs. 135

ध — Pgs. 157

न — Pgs. 161

प — Pgs. 175

फ — Pgs. 207

ब — Pgs. 208

भ — Pgs. 230

म — Pgs. 233

य — Pgs. 266

र — Pgs. 268

ल — Pgs. 279

व — Pgs. 286

श — Pgs. 303

स — Pgs. 315

ह — Pgs. 346

The Author

Kamal Kishore Goenka

प्रेमचंद के जीवन, साहित्य, विचार तथा उनकी पांडुलिपियों के अध्ययन, अनुसंधान और आलोचना एवं उनकी सैकड़ों पृष्ठों की अज्ञान-दुर्लभ सामग्री को खोजने एवं प्रकाशित कराने में आधी शताब्दी अर्पित करनेवाले, इनके संबंध में सर्वथा नवीन अवधारणाओं के प्रतिपादक तथा उनकी भारतीयवादी समग्र मूर्ति के अन्वेषक-स्थापक तथा देश-विदेश में ‘प्रेमचंद स्कॉलर’ के रूप में विख्यात; प्रेमचंद पर 30 तथा अन्य हिंदी लेखकों पर 27 पुस्तकें प्रकाशित; कुछ प्रमुख पुस्तकें; ‘प्रेमचंद के उपन्यासों का शिल्प-विधान’, ‘प्रेमचंद : विश्वकोश’ (दो खंड), ‘प्रेमचंद : अध्ययन की नई दिशाएँ’, ‘प्रेमचंद : चित्रात्मक जीवनी’, ‘प्रेमचंद का अप्राप्य साहित्य’ (दो खंड), ‘प्रेमचंद : अनछुए प्रसंग’, ‘प्रेमचंद : वाद, प्रतिवाद और संवाद’, ‘प्रेमचंद : कहानी रचनावली’ (6 खंड), ‘प्रेमचंद की कहानियों का कालक्रमानुसार अध्ययन’ (के.के. बिड़ला फाउंडेशन के ‘व्यास सम्मान-2014’ से सम्मानित), ‘गांधी : पत्रकारिता के प्रतिमान’, ‘हिंदी का प्रवासी साहित्य’, ‘प्रवासी साहित्य : जोहान्सबर्ग के आगे’, ‘बालशौरि रेड्डी कथा रचनावली’ (4 खंड), ‘रवींद्रनाथ त्यागी रचनावली’ (6 खंड प्रेस में), केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा (मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार) के उपाध्यक्ष, दिल्ली विश्वविद्यालय से सेवानिवृत्ति के बाद साहित्य-साधना में संलग्न।

Customers who bought this also bought

WRITE YOUR OWN REVIEW