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"प्रेमचंद विश्वकोश का यह दूसरा खंड प्रेमचंद के समग्र हिंदी-उर्दू साहित्य का परिचय एवं विवरण प्रस्तुत करनेवाला खंड है। प्रेमचंद हिंदी और उर्दू के समान रूप से लेखक थे। उनकी अधिकांश रचनाएँ दोनों ही भाषाओं में प्रकाशित हुई थीं, यद्यपि उनके शीर्षक एवं प्रकाशन-काल भिन्न-भिन्न रहे हैं। इस खंड में हिंदी और उर्दू की सभी ज्ञात रचनाओं के विवरण अलग-अलग दिए गए हैं, जिससे प्रेमचंद के हिंदी और उर्दू लेखन का चित्र समान रूप से उबरकर पाठकों के सामने आए। इस खंड में प्रेमचंद की प्रत्येक हिंदी रचना का सारांश प्रस्तुत किया गया है और उर्दू रचनाओं के नाम, विधा का नाम, प्रकाशन-वर्ष एवं पत्रिका अथवा पुस्तक का नाम, रचना का हिंदी शीर्षक आदि तथ्य दिए गए हैं। इससे किसी भी उर्दू रचना के हिंदी रूप की जानकारी और फिर इस रचना के कथानक अथवा सारांश तक पहुँचना सरल होगा।
प्रेमचंद के सभी ज्ञात एवं प्राप्य तथा अज्ञात एवं अप्राप्य साहित्य की जानकारी इस खंड में दी गई है। प्रेमचंद की अनेक कहानियाँ, लेख, संपादकीय, पुस्तक- समीक्षाएँ, भूमिकाएँ आदि ऐसी हैं, जिनकी जानकारी किसी संग्रह में संकलित नहीं हैं। इस कारण आज के पाठक उनके अस्तित्व से ही परिचित नहीं हैं। प्रेमचंद की 16 अप्राप्य कहानियों का अन्य सूचनाओं के साथ ही सारांश भी दिया गया है। इस प्रकार अकारादि पद्धति से प्रेमचंद की लगभग 1700 रचनाओं का परिचय एवं सारांश दिया गया है। इसमें प्रेमचंद की सभी हिंदी एवं उर्दू पुस्तकों का विवरण भी सम्मिलित है। प्रेमचंद के जीवन में उनकी हिंदी-उर्दू की जितनी पुस्तकें प्रकाशित हुई थीं, उनके प्रथम संस्करण के परिचय के साथ कुछ कृतियों के आवरण पृष्ठ के फोटोग्राफ भी दिए गए हैं।
इस प्रकार प्रेमचंद के नाम से प्रकाशित प्रत्येक उपलब्ध रचना एवं कृति का परिचय, विवरण एवं सारांश इस खंड में पाठकों को मिल सकेगा। इस प्रकार इस एक ही खंड से प्रेमचंद साहित्य के पाठक और शोधार्थी उनके समग्र साहित्य से परिचित हो सकेंगे। इस खंड में भारतीय एवं विदेशी भाषाओं में हुए प्रेमचंद की कहानियों, उपन्यासों आदि की अनुवाद-सूची भी दी जा रही है।
प्रेमचंद साहित्य से परिचय करवाने वाला अनुपम-अद्वितीय ग्रंथरत्न।"