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Prerak Laghukathayen   

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Author Manish Khatri
Features
  • ISBN : 9788189573133
  • Language : Hindi
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More Information

  • Manish Khatri
  • 9788189573133
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 2016
  • 140
  • Hard Cover

Description

लघुकथा गागर में सागर भर देने का कौशल है। ये लघुकथाएँ मानवीय सरोकारों व संवेदनाओं के साथ अपने लघु स्वरूप में पाठकों के हृदय तक पहुँचने का सामर्थ्य रखती हैं तथा ‘देखन में छोटे लगैं, घाव करें गंभीर’ की उक्ति को चरितार्थ करती हैं। ये कथाएँ पाठकों को न केवल पढ़ने का ही सुख देंगी बल्कि बहुत कुछ सोचने को भी विवश करेंगी। देश की युवा पीढ़ी को सदाचार व नैतिकतापूर्ण जीवन जीने की प्रेरणा देनेवाली ये लघुकथाएँ सांस्कृतिक आतंकवाद के अंधकारमय वर्तमान सामाजिक वातावरण में नई रोशनी का काम करती हैं।
एक पठनीय व संग्रहणीय लघुकथा-संग्रह, जो निश्चय ही पाठकों को रोचक व मनोरंजक लगेगा।

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अनुक्रम  
सिद्धि का लक्ष्य — Pgs. ११ हृदय-परिवर्तन  — Pgs. ७७
संगत का असर — Pgs. १२ बड़ा होने की अहमियत  — Pgs. ७८
मातृछाया — Pgs. १२ अनुभव का कोई जोड़ नहीं — Pgs. ७९
मन की बात — Pgs. १३ पशु भी वचन देकर मुकरते नहीं — Pgs. ८०
खुदा का साथ — Pgs. १४ ठाकुरजी का भोग  — Pgs. ८०
मुहब्बत का मतलब — Pgs. १५ सुख का द्वार — Pgs. ८१
यौवन-दान — Pgs. १६ कोरा ज्ञान ही काक्ताद्ध नहीं है  — Pgs. ८२
जीविकोपार्जन — Pgs. १७ परोपकार की भावना  — Pgs. ८३
कमाई की रोटी — Pgs. १७ नम्रता भरी वाणी  — Pgs. ८४
अधूरी कहानी — Pgs. १८ सर्वोपरि कौन ? — Pgs. ८५
भगवे का अपमान — Pgs. १९ एक युग का अपूर्ण चित्रण  — Pgs. ८६
महानता का मतलब — Pgs. २० कार्य करने की दृढ़ इच्छाशक्ति  — Pgs. ८७
जीवन का स्वरूप — Pgs. २१ भाग्य-परिवर्तन  — Pgs. ८८
मातृभक्ति — Pgs. २२ बुरे कर्म की सजा अवश्य मिलती है  — Pgs. ८९
अकड़-व्याधि — Pgs. २२ लालच और विश्वासघात  — Pgs. ८९
सत्य की सीमा — Pgs. २३ जैसी करनी, वैसी भरनी  — Pgs. ९०
खुदाई करिश्मा — Pgs. २४ भागवत कथामृतपान का महत्त्व  — Pgs. ९१
गुरु-शिष्य परंपरा — Pgs. २५ अशोक की प्रतिज्ञा — Pgs. ९२
‘हाँ’ और ‘ना’ — Pgs. २६ पाप का बाप  — Pgs. ९३
दरिद्र कौन? — Pgs. २७ सर्वश्रेष्ठ कौन? — Pgs. ९४
सम्राट् से राजर्षि — Pgs. २७ कर्तव्यपालन से विपत्तियों पर विजय  — Pgs. ९५
गीता की कृपा — Pgs. २८ लक्ष्य-मार्ग से कभी न भटकें — Pgs. ९६
धर्म-शिक्षा  — Pgs. २९ भूख की व्याकुलता का अहसास  — Pgs. ९७
चोर की सजा  — Pgs. ३० सबो अपने समान समझो — Pgs. ९८
मजदूरी का कोई विकल्प नहीं — Pgs. ३० हर मुश्किल अक्ल से आसान
एक ही खयाल  — Pgs. ३२ की जा सकती है — Pgs. ९९
किया सो काम, जपा सो राम  — Pgs. ३२ दो की लड़ाई में तीसरे
बेबाक विद्वान् — Pgs. ३३ का फायदा — Pgs. १००
निर्विकार मन  — Pgs. ३४ सारा काम भगवान् भरोसे — Pgs. १०१
बुराई की गठरियाँ — Pgs. ३५ पतन के कारण — Pgs. १०२
सच्ची बंदगी — Pgs. ३६ गरीबी और अमीरी का
चौर्य-विष — Pgs. ३७ आपसी रिश्ता — Pgs. १०३
भक्त के लक्षण — Pgs. ३७ त्याग ही मोक्ष है — Pgs. १०४
आत्मविश्वास  — Pgs. ३८ ज्ञान का हीरा — Pgs. १०४
कोई किसी से कम नहीं — Pgs. ३९ दुर्वासा का महाक्रोध — Pgs. १०५
ऐसी सिद्धि से क्या फायदा? — Pgs. ४० लोभ से मुक्ति — Pgs. १०६
दो घोड़ों की सवारी  — Pgs. ४१ वस्तु-आधारित जीवनयापन
एक पाई की भूल  — Pgs. ४२ का अंत — Pgs. १०७
अर्थ का अनर्थ  — Pgs. ४२ दुष्ट को दुष्टता के सिवाय
घोर अज्ञानी  — Pgs. ४३ कुछ नहीं सूझता — Pgs. १०८
साक्षात् दरिद्रनारायण  — Pgs. ४४ नश्वर शरीर की सार्थकता — Pgs. १०९
गलतफहमी — Pgs. ४५ भम की जाँच — Pgs. ११०
आज और अभी  — Pgs. ४६ सर्वस्वदाता सर्वोपरि है — Pgs. १११
अंतिम मंजिल  — Pgs. ४६ मिथ्या गर्व ले डूबता है — Pgs. ११२
तमसे मा ज्योतिर्गमय — Pgs. ४७ सबसे बड़ा वशीकरण-मंत्र — Pgs. ११३
ममत्व की सीमा — Pgs. ४८ अदम्य साहस का परिचय — Pgs. ११३
अपनी-अपनी कसौटी — Pgs. ४९ छल और कपट के पाँव
लेन-देन से मुक्ति — Pgs. ५० नहीं होते — Pgs. ११४
‘मैं’ से छुटकारा — Pgs. ५१ मानव की सनातन जिज्ञासा — Pgs. ११५
अंतरात्मा और परमात्मा — Pgs. ५१ बहादुर बाप का बेटा — Pgs. ११६
धर्मप्राण नारी — Pgs. ५२ असली धर्म — Pgs. ११७
अपना-अपना दृष्टिकोण — Pgs. ५३ असार में से सार ग्रहण
आदिशंकराचार्य — Pgs. ५४ करने की कला — Pgs. ११८
अक्षयपात्र — Pgs. ५५ आचरण बोलता है  — Pgs. ११९
मनोदशा — Pgs. ५६ सट्टे के भी उसूल होते हैं  — Pgs. १२०
प्रजा का दर्द — Pgs. ५६ अहंकार से कुछ भी हासिल नहीं होता  — Pgs. १२०
हाकिम की नीयत — Pgs. ५७ जैसा खाओगे अन्न, वैसा रहेगा मन  — Pgs. १२१
मुक्ति का उद्देश्य — Pgs. ५८ भावना ही प्रमुख है — Pgs. १२२
सत्य की खोज — Pgs. ५९ कैसा जीना, कैसा मरना  — Pgs. १२३
अनलहक (अहं ब्रह्मास्मि) — Pgs. ६० पाप का मैल  — Pgs. १२४
द्वैत ही नरक है — Pgs. ६१ धर्म-तत्त्व  — Pgs. १२५
प्रेम की महिमा — Pgs. ६१ सत्यधर्म — Pgs. १२६
अनमोल खजाना — Pgs. ६२ देनेवाला एक ही है — Pgs. १२७
जीवन-दर्शन — Pgs. ६३ स्वतंत्र आत्मा — Pgs. १२८
सहभागिता का महत्त्व — Pgs. ६४ धर्मराज युधिष्ठिर — Pgs. १२९
संगति सुमति न पावहीं... ६५ दूसरे की मेहनत का फायदा — Pgs. १२९
अल्पकाल में पुण्य — Pgs. ६६ संगति सुमति न पावहीं — Pgs. १३०
बुनियादी भूल — Pgs. ६७ सच्चे का बोलबाला — Pgs. १३१
परमात्व तत्त्व — Pgs. ६७ दीर्घजीवी होने का रहस्य — Pgs. १३२
समस्या का समाधान — Pgs. ६८ सजन रे झूठ मत बोलो — Pgs. १३२
अहंकार और लोभ-संवरण — Pgs. ६९ करत-करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान — Pgs. १३३
लालच बुरी बला — Pgs. ७० हकीकत बयान करने से क्या डरना? — Pgs. १३४
मोह-सुख और राज-सुख — Pgs. ७१ शील-संपदा — Pgs. १३४
मनुष्य की आदि लोलुपता — Pgs. ७२ दान का पैसा — Pgs. १३५
स्वतंत्रता का महत्त्व — Pgs. ७२ कानून की नजर में — Pgs. १३६
भविष्यवाणी और कर्तव्य- विमुखता  — Pgs. ७३ अब कैसा पछताना — Pgs. १३७
आसक्ति का परित्याग  — Pgs. ७४ ऐसी सिद्धि भी किस काम की — Pgs. १३७
अहंकार का विष-वृक्ष  — Pgs. ७५ बुद्धि-कौशल — Pgs. १३८
नीयत का फेर  — Pgs. ७६  

The Author

Manish Khatri

सन् 1961 में जनमे श्री मनीष खत्री बहुमुखी प्रतिभा के धनी सिद्धहस्त रचनाकार हैं। वे स्वतंत्र लेखन कार्य के माध्यम से हिंदी साहित्य की सेवा में रत हैं। अब तक उनकी कुल बारह पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं, जिनमें प्रमुख हैं—‘बुद्धि विलास’, ‘विचित्र जीव-जंतु’, ‘डाक टिकट’ एवं ‘बुद्धि के खेल’।

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