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‘प्रेरणा’ पुस्तक के बारे में कुछ सोच-समझकर लिखना असंभव सा लगता है, क्योंकि इस पुस्तक में जो कविताएँ तथा विचार लिखे गए हैं, वे अकस्मात् ही घटित हुए हैं, जैसे बिन मौसम के बारिश का होना। जीवन के सफर से गुजरते हुए जो अनुभव दिल को छूते चले गए, यह पुस्तक उन्हीं विचारों की कृति है।
मैं हर पल इस प्रयास में रहता हूँ कि दूसरों को अपने संगीत से खुश करूँ और मेरे गुरु हर वक्त इतने खुश रहते हैं कि उनका संगीत उसी खुशी का विस्तार है। इसलिए फर्क तो होना ही है।
मुझे यह कहानी बहुत प्रीतिकर लगती है। जब भी हम किसी कार्य को देने की भावना से करेंगे तो उसकी खुशी कुछ और ही होगी।
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अनुक्रम
प्रस्तावना |
|
5 |
सफलता की कसौटी |
कविता |
11 |
मन के जाल हजार |
विचार |
13 |
मूल्य चुकाना पड़ेगा |
कविता |
15 |
विवाह, प्रेम के बिना एक सामाजिक बंधन |
विचार |
17 |
पूरब और पश्चिम |
कविता |
19 |
एक यात्रा वक्ता से व्यक्ति की ओर |
विचार |
20 |
इन दिनों कुछ नया आभास सा हुआ है |
कविता |
21 |
बुराई में भी भलाई |
विचार |
24 |
चाहत |
कविता |
25 |
मुश्किल है अब प्यार में वचन देना |
कविता |
27 |
प्रकृति |
विचार |
29 |
लोग कहते हैं कि मैं बच्चा हूँ |
कविता |
30 |
दृष्टिकोण |
कविता |
32 |
स्वयं से प्रेम |
विचार |
34 |
दौड़ |
कविता |
35 |
मृत्यु दिवस |
विचार |
36 |
जिंदगी के रंग |
कविता |
37 |
कसम |
कविता |
39 |
लीडरशिप |
विचार |
44 |
सुख |
कविता |
42 |
इंसानियत की दवा |
कविता |
45 |
कल क्या होगा |
कविता |
46 |
सकारात्मक दृष्टिकोण से आध्यात्मिक दृष्टिकोण की ओर |
विचार |
48 |
कभी दिन कभी रात |
कविता |
49 |
ओ मन! |
कविता |
51 |
ज्ञान परिवर्तन के बिना केवल शब्दों का संग्रह |
विचार |
53 |
मैं और मेरे सपने |
कविता |
54 |
इच्छाएँ और सकल्प |
विचार |
56 |
शुक्रिया जिंदगी |
कविता |
57 |
आंतरिक विकास के बिना समाज सेवा संभव नहीं |
विचार |
59 |
खुद को जाना |
कविता |
60 |
न किसी से दोस्ती, न किसी से बैर |
कविता |
63 |
मनःस्थिति और परिस्थिति |
विचार |
68 |
साधारण सफलता से असाधारण सफलता |
विचार |
68 |
हँसते-हँसते ऊपर जाओ |
कविता |
69 |
एक मुलाकात मौत के साथ |
कविता |
72 |
जीवन अभी और यहीं |
विचार |
76 |
इश्क |
कविता |
75 |
ध्यान |
विचार |
77 |
लक्ष्य |
कविता |
78 |
अकेला और एकांत |
विचार |
80 |
चल अकेला |
कविता |
81 |
उलझन |
विचार |
83 |
ज़िंदगी की पिक़्चर |
कविता |
84 |
मुझसे मेरी दोस्ती |
कविता |
85 |
अधिकार |
विचार |
87 |
सिर्फ जागरूकता ही परिवर्तन ला सकती है |
विचार |
88 |
संबंध एक से, संपर्क अनेक से |
विचार |
89 |
सृष्टा |
विचार |
90 |
मन के ऊपर |
विचार |
91 |
प्रेम और कर्तव्य |
विचार |
92 |
दर्पण झूठ ना बोले |
कविता |
93 |
सूत्र-वाक्य |
|
95 |
राजेश अग्रवाल एक प्रसिद्ध, अनुभवी मोटीवेशनल स्पीकर, लेखक, कवि एवं लाइफ-कोच हैं। उनके अनुसार हमारी सोच एवं दृष्टिकोण से सकारात्मक परिवर्तन और हमारा नया भाग्य निर्माण होता है। ‘बिजनेस टुडे’ मैगजीन ने उन्हें ‘डॉ. डेस्टिनी’ का खिताब दिया है। वह ट्रेनिंग और शिक्षा के क्षेत्र में सन् 1994 से कार्य कर रहे हैं।
राजेश अग्रवाल ‘रीबर्थ अकादमी’ के संस्थापक हैं, इस संस्था का उद्देश्य हर व्यक्ति के जीवन और व्यवसाय में सकारात्मक सुधार और प्रचुरता लाना है! प्रत्येक वर्ष राजेश कई निजी और सरकारी संस्थाओं, विश्वविद्यालयों और सामाजिक संस्थाओं में अपनी कार्यशैली व लैक्चर के लिए आमंत्रित किए जाते हैं। राजेश अपने कार्यक्रम में यह बताते हैं कि हम अपने सपनों और लक्ष्य को कैसे प्राप्त करें तथा अपने क्षेत्र में एक उत्तम कोटि का लीडर कैसे बनें? राजेश ने अपने कार्य-क्षेत्र में गहरा अध्ययन और अनुसंधान किया, जिसका प्रभाव उनके सेमिनार में दखने को मिलता है एवं लोगों को जीवन परिवर्तन में लाभान्वित करता है।
‘Rajesh Aggarwal’ यू-ट्यूब चैनल पर 1,46,000 सब्सक्राइबर हैं और वहाँ पर उपलब्ध करीब 250 मोटीवेशनल वीडियो को 125 से ज्यादा देशों में देखा जाता है। राजेश का ‘The Rajesh Aggarwal’ फेसबुक पेज भी अत्यधिक प्रसिद्ध है।
संपर्क : www.rajeshaggarwal.net