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अत्याचार और अन्याय के खिलाफ आवाज उठानेवाली, असहाय और निर्बल का संरक्षण करनेवाली, सामाजिक कुरीतियों को ध्वस्त करनेवाली, भ्रष्टाचार के विरुद्ध शंखनाद करनेवाली, किसी एक भारतीय महिला का नाम लें, तो वह होगा—वरिष्ठ पुलिस अधिकारी डॉ. किरण बेदी।
अपने सेवाकाल और उसके बाद भी जो निरंतर सामाजिक उत्थान के लिए कृतसंकल्प रहीं और तन-मन-धन से सकारात्मक कार्य करके समाज में आदर्श और अनुकरणीय बनीं, उन डॉ. किरण बेदी की प्रेरणाप्रद जीवनगाथा है यह पुस्तक।
हमारा विश्वास है कि यह पुस्तक समाज में चेतना जाग्रत् करने, महिलाओं में सुरक्षा का भाव पैदा करने, निर्बलों में साहस पैदा करने और भ्रष्टाचारियों के दिलों में डर पैदा करने में सफल होगी।
पत्रकार, साहित्यकार एवं सामाजिक कार्यकर्ता हैं। दुर्व्यसन, अस्पृश्यता, पशु-पक्षी हत्या, परावलंबन और प्रकृति के साथ छेड़छाड़; ये कुछ ऐसी बुराइयाँ हैं, जिनके कारण संपूर्ण समाज को आर्थिक, सामाजिक व प्राकृतिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। समाज में व्याप्त इन व्याधियों को जड़ से मिटाने के लिए दर्जनों पुस्तकों का लेखन तो किया ही, साथ ही आर्य समाज के संस्थापक स्वामी दयानंद सरस्वती तथा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के निर्माता डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार के सामाजिक कार्यों से प्रेरित होकर युवा विकास परिषद् नामक संस्था की स्थापना करके, इसके माध्यम से उन्होंने दुर्व्यसन, पशु-पक्षी संरक्षण व अस्पृश्यता से मुक्ति जैसे कई कार्यक्रम भी चलाए हैं। इन्होंने कई फिल्मों, टीवी धारावाहिकों और वृत्तचित्रों की पटकथा का लेखन भी किया है।
‘रेड ऐंड व्हाइट गोल्ड अवॉर्ड’, ‘दीनदयाल उपाध्याय सम्मान’, ‘साहित्यश्री सम्मान’, ‘रानी झाँसी सम्मान’, ‘देवगुरु बृहस्पति सम्मान’ सहित इन्हें अनेक सामाजिक एवं साहित्यिक पुरस्कारों से विभूषित किया जा चुका है।