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"यह पुस्तक भारत की 15वीं राष्ट्रपति माननीय द्रौपदी मुर्मुजी की जीवनी है। उनकी पारिवारिक परिचित लेखिका प्रो. विजयलक्ष्मी मोहांती ने इसे लिखा है। इसमें उनके उतार-चढ़ाव से भरे जीवन का विशद चित्र खींचा गया है- स्पष्ट और विस्तृत। इसमें बताया गया है कि कैसे द्रौपदी मुर्मुजी ने जीवन के हर दौर से खुद को उबारते हुए फर्श से अर्श तक का सफर तय किया। इस तरह यह पुस्तक मानवमात्र को एक संदेश भी देती है।
इस पुस्तक के जरिए जाना जा सकता है कि द्रौपदी मुर्मुजी के व्यक्तित्व में कितना ठहराव है। राष्ट्रपतिजी का नाम 'द्रौपदी' सर्वथा उनके गुणों के अनुरूप है। वे वर्तमान में प्रगतिशील और समावेशी लोकतंत्र की सशक्त महिला प्रतिनिधि हैं। ऐसी, जिन्होंने शिक्षा, नौकरी एवं राजनीति में मिले हर अवसर को पहचाना और उसे अपनी प्रगति के लिए सुगम्य साधन बनाया। देश की राष्ट्रपति के रूप में उनकी प्रतिष्ठा 'कर्म के सिद्धांत' के प्रति हमारे भरोसे को भी अधिक दृढ़ करती है तथा 'वसुधैव कुटुम्बकम्' की भावना के लिए भारत की प्रतिबद्धता पर बारंबार जोर देती है।
इस तरह उनका जीवन स्वयं में एक प्रेरणा है। उनकी जीवन-यात्रा हमें सिखाती है कि हम विनम्रता, समबुद्धि और लचीलेपन जैसे गुणों का अनुसरण कर अपने व्यक्तिगत कार्यों के जरिए अपना भाग्य खुद लिख सकते हैं।
भारत की माननीय राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु के संघर्ष, त्याग, कर्मठता, जिजीविषा और सफलता की प्रेरक व यशस्वी जीवनगाथा।"