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हम पहाड़ों एवं घाटियों, महासागर एवं रेगिस्तान, पक्षियों एवं पशुओं को देख पाए हैं और हमें दुनिया भर में पाए जाने वाले विभिन्न प्रकार के फल व सब्जियाँ आसानी से उपलब्ध हैं। और इसलिए जब-जब मानव धरती माता के प्रति स्वार्थी एवं बेपरवाह होता है, वह उन्हें अपनी उपस्थिति का अहसास कराती है और शक्तिशाली भूकंप, बाढ़ तथा आग जैसी आपदाओं के माध्यम से दुनिया में संतुलन बहाल करती है। यह एक स्मरण-पत्र है कि केवल पृथ्वी माता ही प्रकृति की शक्तियों को नियंत्रित कर सकती हैं ।
सुधा मूर्ति का जन्म सन् 1950 में उत्तरी कर्नाटक के शिग्गाँव में हुआ। उन्होंने कंप्यूटर साइंस में एम.टेक. किया और वर्तमान में इन्फोसिस फाउंडेशन की अध्यक्षा हैं। बहुमुखी प्रतिभा की धनी सुधा मूर्ति ने अंग्रेजी एवं कन्नड़ भाषा में उपन्यास, तकनीकी पुस्तकें, यात्रा-वृत्तांत, लघुकथाओं के अनेक संग्रह, अकाल्पनिक लेख एवं बच्चों हेतु चार पुस्तकें लिखीं। सुधा मूर्ति को साहित्य का ‘आर.के. नारायणन पुरस्कार’ और वर्ष 2006 में ‘पद्मश्री’ तथा कन्नड़ साहित्य में उत्कृष्ट योगदान हेतु वर्ष 2011 में कर्नाटक सरकार द्वारा ‘अट्टीमाबे पुरस्कार’ प्राप्त हुआ। अब तक भारतीय व विश्व की अनेक भाषाओं में लगभग दो सौ पुस्तकें प्रकाशित होकर बहुचर्चित-बहुप्रशंसित।