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‘प्रो. बाल आपटे : व्यक्तित्व एवं विचार’ पुस्तक के निमित्त से उनकी स्मृतियों को हृदयगत करने का सुअवसर पाकर संपादक मंडल धन्यता का अनुभव कर रहा है। दीर्घकाल तक उनके साथ रहते हुए जिस रूप में हम उन्हें देख पाए, बिल्कुल उसी रूप में सभी आप्त-मित्रों ने भी उन्हें पाया है। वही अपनापन, वही निष्ठा, वही लगन सभी ने बालासाहब की कृतियों में महसूस की। कठिन प्रसंगों में, संघर्ष के क्षणों में उन्होंने जिस प्रकार अपने समस्त सहयोगियों को बल प्रदान किया, यह भाव उनके संपर्क में आए प्रायः सभी का रहा है।
प्रो. आपटेजी चार दशकों तक छात्रों के सामाजिक दायित्व के बारे में विशुद्ध वैचारिक मार्गदर्शन लगातार करते रहे, किंतु बदलती युवा मानसिकता तथा समसामयिक राष्ट्रीय तथा वैश्विक वायुमंडल को उन्होंने कभी नजरअंदाज नहीं किया। उसी दायित्व की भूमिका को संगठनात्मक प्रखर व्यवहार देने के लिए उन्होंने अथक प्रयास किया। नई पीढ़ी के मानस को ठीक पहचानते हुए उसके नवीन प्रयोगों को प्रोत्साहन देने की उदारता बालासाहब में थी। इतना ही नहीं, उन प्रयोगों की सार्थक यशस्विता के लिए कठोर परिश्रम करने का धैर्य भी उनमें था। यही प्रो. बाल आपटे के व्यक्तित्व एवं विचार की महानता थी