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प्रो. विक्रम साराभाई (1919-71) आधुनिक भारत के महान् वैज्ञानिकों में प्रमुख थे। वे एक साथ प्रतिष्ठित व्यवसायी, कला व सौंदर्य-प्रेमी एवं प्रकृति-प्रेमी तथा स्वप्नद्रष्टा वैज्ञानिक थे। भारतीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में साराभाई का अतुलनीय योगदान था। भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम और सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए टेलीविजन तथा अन्य माध्यमों से उसके अनुप्रयोग के संदर्भ में भी उनकी महत्त्वपूर्ण भूमिका थी। 60 के दशक में होमी जहाँगीर भाभा के निधन के पश्चात् उन्होंने परमाणु ऊर्जा आयोग के अध्यक्ष का महत्त्वपूर्ण पद-भार सँभाला।
प्रो. साराभाई ने अपने जीवनकाल में अलग-अलग तरह के कई संस्थान शुरू किए थे, जिनमें भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो—ISRO), भौतिकी अनुसंधान प्रयोगशाला (P.R.L.), कार्य अनुसंधान समूह (O.R.G.), भारतीय प्रबंधन संस्थान (IIM—हैदराबाद) एवं राष्ट्रीय प्रारूप संस्थान (N.I.D.) आदि प्रमुख हैं।
वे विज्ञान के दीर्घकालिक प्रभाववाले विकास कार्यक्रमों की आधारशिला रखनेवाले महान् वैज्ञानिक एवं व्यापक गतिविधियों को संचालित करनेवाले उच्च कोटि के संगठनकर्ता थे। परमाणु बम को लेकर उनके अपने अलग ही विचार थे।
प्रो. साराभाई के व्यक्तित्व एवं कृतित्व को समग्रत: प्रस्तुत करती जीवनगाथा, जो प्रत्येक भारतीय के लिए पठनीय और संग्रहणीय है।
अमृता शाह पत्रकार, स्तंभकार एवं लेखक हैं। 1980 में मुंबई के माफियाओं पर उन्होंने रहस्योद्घाटक श्रृंखला लिखी। उन्होंने इंप्रिंट तथा टाइम-लाइफ न्यूज सर्विस के लिए कार्य किया एवं ‘डेबोनायट’ व ‘एले’ नामक पत्रिकाओं के लिए फीचर लेख संपादित किए। वर्तमान में वे ‘इंडियन एक्सप्रेस’ से संबद्ध हैं। उन्होंने ‘हाइप, हिप्पोक्रेसी एंड टेलीविजन इन अर्बन इंडिया’ नामक पुस्तक भी लिखी है।