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"पंडित श्यामनारायण पांडेय ग्रंथावली अतीत की सुषुप्त चेतना की जागृति से लेकर वर्तमान परिदृश्य को अपने अर्वाचीन पुरातन से साक्षात्कारित करवाती है। अपने समय और अखंड कालक्रम में होने तक जिस संचेतना को लेखन से लेकर वाचिक परंपरा तक महाकवि पंडित श्यामनारायण पांडेय ने अपने शब्दों और ध्वनि-टंकार से दसों दिशाओं में निनादित किया, उस ओजस्वी और प्रेरक वाणी को आज के पाठकों के समक्ष प्रस्तुत करने का यह एक प्रयास है।
चार खंडों में लुप्तप्राय उनकी दस कृतियों को एकसूत्रित कर ओज के आधुनिक भूषण के अंतरतम को संकलित करने का यह प्रयास है। आदि से आधुनिक काल तक, जीवन के उन्नयन से लेकर पराधीनता के बंधन तक, मुक्ति की चाह में लड़ते मन से लेकर सहज मन के भावार्पण तक को एकरूपता देने की कोशिश है। अपने आदर्शों और उनके विकट जीवन-संघर्षों की गाथा को रचने व हिंदी साहित्य के लुप्तप्राय पृष्ठों का पुनर्सकलन कर ग्रंथावली के रूप में सहेजना हमारा परम सौभाग्य है।
पं. श्यामनारायण पांडेय — जन्म : सन् 1907 में श्रावण कृष्ण 6, डुमराँव (मऊ ), उ.प्र. ।
कविवर पं. श्यामनारायण पांडेय आधुनिक हिंदी साहित्य में एक श्रेष्ठ वीर काव्य प्रणेता के रूप में जाने जाते हैं । महाकवि भूषण के बाद यदि किसी की कविता में वीररस का ऐसा उत्साहक सृजन मिलता है, तो वह पं. श्यामनारायण पांडेय ही हैं। उन्हें ""आधुनिक युग का भूषण ' कहा जाता है | द्विवेदी युगीन दृष्टिकोण के साथ ही भारतीय शौर्य के अप्रतिम उद्गायक के रूप में उनका नाम स्वर्णिम अक्षरों में अंकित है। ""हल्दी घाटी' व 'जौहर' जैसी दर्जनभर पुस्तकों के प्रणेता के रूप में उन्होंने हिंदी साहित्य के लेखन व वाचिक परंपरा में प्रभूत यश अर्जित किया है। सनातन संस्कृति से आर्य होते हिंदू धर्म तक के पुरातन मध्ययुगीन तथा आधुनिक काल तक भारतीय शौर्य पर उनका निर्भीक व बेबाक लेखन हिंदी साहित्य के लिए धरोहर जैसा है।
रचनाएँ : त्रेता के दो वीर, हल्दी घाटी, जौहर, आरती, जय हनुमान, गोरावध, शिवाजी, बालिवध, वशिष्ठ, परशुराम । अनूदित रचनाएँ : कुमारसंभव (सातवें सर्ग तक) । प्रतिनिधि संकलन : आधुनिक कवि।
पुरस्कार : देव पुरस्कार (हल्दी घाटी), द्विवेदी पुरस्कार (जौहर), राजकीय पुरस्कार (जय हनुमान एवं शिवाजी) ।
स्मृतिशेष : 26 जनवरी, 1989 ।"