₹250
बीते सात वर्षों में हमारे देश में जो बड़ी घटनाएँ घटीं, उन्होंने न सिर्फ देश के लोगों का, बल्कि दुनिया का ध्यान भारत की ओर खींचा है। राष्ट्रीय सुरक्षा और राजनीति से जुड़ी घटनाओं और तमाम हलचलों के दौर में शायद ही कोई ऐसा दिन गुजरा हो, जिसकी बात जनसामान्य ने अपनी दैनिक वार्त्ताओं में न की हो। इन घटनाओं में दुश्मन देश की क्रूरता भी दिखी तो देश के जाँबाज वीरों की वीरता भी; शूरवीरों के बलिदान ने देश को झकझोरा भी और बदले में हुई काररवाई ने गर्व करने के क्षण भी दिए।
पुलवामा में हमारी सेना के 40 जवानों पर हुए हमले ने देश को झकझोरकर रख दिया था। विंग कमांडर अभिनंदन की वापसी के लिए हर देशवासी प्रार्थना कर रहा था। देश की सीमाओं पर आए दिन पाकिस्तान की ओर से कोई कायराना हरकत की जाती थी और भारत की ओर से उसका कड़ा जवाब भी बराबर दिया जाता रहा है।
पुलवामा और उसके इर्द-गिर्द हुई घटनाओं के बाद भारत ने जवाबी काररवाई में बालाकोट में आतंकियों के बेस को नेस्तनाबूत कर दिया और उसके बाद जम्मू-कश्मीर को संवैधानिक राज्य का दर्जा देते हुए धारा 370 को हटाया। ये सभी वे बड़ी घटनाएँ थीं जिनकी उम्मीद देशवासियों को भारत सरकार से थी।
ऐसी ही तमाम घटनाओं का संकलन है ‘पुलवामा अटैक’, जिसे विकास त्रिवेदी और स्मिता अग्रवाल ने वास्तविक घटनाओं को काल्पनिक आधार पर प्रस्तुत किया है।
विकास त्रिवेदी राजस्थान स्थित झीलों के शहर उदयपुर से आते हैं। उन्होंने अंग्रेजी साहित्य, मनोविज्ञान और राजनीति शास्त्र में मास्टर की डिग्री और मनोविज्ञान में पी-एच.डी. की डिग्री हासिल की है। वे अब अपने ज्ञान और पढ़ाई का इस्तेमाल मनोविज्ञान के प्रोफेसर के रूप में पढ़ाने में करते हैं। इस सफल जोड़ी ने एक साथ मिलकर अपनी दूसरी पुस्तक ‘42 डेज ऑफ लव’ को प्रकाशित किया है, जो एक ऑस्ट्रेलियाई समुद्री गोताखोर के असल जीवन के वीरतापूर्ण कारनामों से प्रेरित है।
स्मिता अग्रवाल पश्चिम बंगाल के कोलकाता से ताल्लुक रखती हैं, जिन्हें बचपन से ही सामान्य पढ़ाई के मुकाबले रचनात्मक कला का अधिक शौक रहा। उन्होंने अकाउंटेंसी में ऑनर्स किया और स्नातक करने के बाद रचनात्मक कार्यों के अपने जुनून को पूरा करने का फैसला किया। इसके अलावा स्मिता एक बेहद जानकार और सफल प्राणिक हीलर भी हैं, एक ऐसी कला जिसका अभ्यास वे पिछले 13 से भी अधिक सालों से कर रही हैं।