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पाइथागोरस 560 ईसा पूर्व में जनमे यूनान के विख्यात गणितज्ञ थे। सुकरात, प्लूटो, अरस्तु और सिकंदर भी उनसे प्रभावित रहे। पाइथागोरस ने जो भी संदेश दिया, गणित की जितनी भी गणनाएँ थीं, मौखिक कीं, उन्होंने अपने हाथों एक भी शब्द नहीं लिखा।
पाइथागोरस की लोकप्रिय प्रमेय— ‘किसी समकोण त्रिभुज में कर्ण पर बना वर्ग शेष दो भुजाओं पर बने वर्गों के योग के बराबर होता है’, गणित पढ़नेवाले प्रत्येक विद्यार्थी को पढ़नी पड़ती है। यह प्रमेय बेबीलोनवासियों (वर्तमान इराक) को पाइथागोरस से 1000 वर्ष पहले ज्ञात थी, लेकिन पाइथागोरस पहले व्यक्ति थे, जिन्होंने इसे सिद्ध किया।
पाइथागोरस बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। वे शौक से वीणा बजाते थे। उनका यह शौक जीवनपर्यंत जारी रहा। कविता, गणित, खगोलशास्त्र, संगीत, ज्यामिति पर उनकी बराबर पकड़ थी। वे अध्यापन करते थे। बाद में उन्होंने दर्शन और धर्म से जुड़ा एक स्कूल खोला। अनेक लोग उनके अनुयायी बने।
ज्ञानविज्ञान की अनेक शाखाओं के जानकार और अद्भुत विद्वान् पाइथागोरस की प्रामाणिक जीवनी।
वाणिज्य स्नातक। कलासाहित्यइतिहास आदि विषयों पर सतत लेखन, जो पत्रपत्रिकाओं में प्रकाशित होकर चर्चित रहा।