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किस्से-कहानियाँ किसे पसंद नहीं। और वो भी ऐसे किस्से, जिन्हें सुनते हुए कोई मीठा सा गीत पार्श्व संगीत बनकर बजने लगे, आँखों के सामने कुछ चहेते चेहरे अनायास तैरने लगें। ऐसे किस्से, जिन्हें पढ़ते हुए आप पहुँच जाएँ किसी सिद्ध संगीतज्ञ के म्यूजिक रूम में। वह म्यूजिक रूम, जहाँ आनेवाले कल का कोई सदाबहार नगमा आकार ले रहा है, जहाँ गीत-संगीत के रचनाकारों के बीच सुरीला संवाद हो रहा है, जहाँ साज और आवाज की सोज भरी जुगलबंदी हो रही है। अकसर देखा गया है कि शास्त्रीय रागों की बात भी बड़े शास्त्रीय तरीके से की जाती है, लेकिन ‘रागगीरी’ का अंदाज बिल्कुल अलग है। यहाँ किस्सा भले ही शुरू होता है किसी राग के बहाने, लेकिन पढ़नेवाला पहुँच जाता है किसी जाने-पहचाने गीत की गंगोत्तरी पर।
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अनुक्रम
किस्सा-ए-रागगीरी —Pgs.7
शब्दावली —Pgs.11
आभार —Pgs.15
1. राग केदार —Pgs.21
2. राग किरवानी —Pgs.24
3. कौशिक कांहड़ा —Pgs.27
4. राग कामोद —Pgs.30
5. राग काफी —Pgs.33
6. राग कलावती —Pgs.36
7. राग खंबावती —Pgs.39
8. राग खमाज —Pgs.42
9. गुर्जरी तोड़ी —Pgs.45
10. राग गारा —Pgs.48
11. राग गौड़ मल्हार —Pgs.51
12. राग गौड़ सारंग —Pgs.54
13. राग गावती —Pgs.57
14. राग गोरख कल्याण —Pgs.60
15. राग चारुकेशी —Pgs.63
16. राग छायानट —Pgs.66
17. राग जोग —Pgs.69
18. राग जौनपुरी —Pgs.72
19. राग जोगिया —Pgs.75
20. राग झिंझोटी —Pgs.78
21. राग तिलक कामोद —Pgs.81
22. राग तिलंग —Pgs.84
23. राग तोड़ी —Pgs.87
24. राग देवगांधार —Pgs.90
25. राग दुर्गा —Pgs.93
26. राग दरबारी कांहड़ा —Pgs.96
27. राग देस —Pgs.100
28. राग देसी —Pgs.104
29. राग नंद —Pgs.106
30. राग पूर्वी —Pgs.108
31. राग पहाड़ी —Pgs.110
32. राग परज —Pgs.113
33. राग पटदीप —Pgs.116
34. राग पीलू —Pgs.119
35. पूरिया धनाश्री —Pgs.122
36. राग बसंत —Pgs.124
37. राग बिहाग —Pgs.127
38. राग बागेश्री —Pgs.130
39. राग बसंत मुखारी —Pgs.133
40. राग भैरव —Pgs.136
41. राग भैरवी —Pgs.139
42. राग भटियार —Pgs.142
43. राग भीमपलासी —Pgs.145
44. राग भिन्न षड़ज —Pgs.148
45. राग भूपाली —Pgs.150
46. राग भूपेश्वरी —Pgs.153
47. राग मियाँ की मल्हार —Pgs.156
48. राग मुल्तानी —Pgs.159
49. राग मधमाद सारंग —Pgs.162
50. राग मालगुंजी —Pgs.165
51. राग मालकौंस —Pgs.168
52. राग मांड —Pgs.172
53. राग मारू बिहाग —Pgs.175
54. राग मारवा —Pgs.178
55. राग मेघ —Pgs.181
56. राग मिश्र भैरवी —Pgs.184
57. राग यमन —Pgs.187
58. राग रागेश्री —Pgs.190
59. राग ललित —Pgs.193
60. राग विभास —Pgs.196
61. राग वृंदावनी सारंग —Pgs.199
62. राग शिवरंजनी —Pgs.202
63. राग शुद्ध कल्याण —Pgs.205
64. राग शंकरा —Pgs.208
65. राग सोहनी —Pgs.211
66. राग हमीर —Pgs.214
संदर्भ-ग्रंथ —Pgs.217
संदर्भिका —Pgs.219
गिरिजेश कुमार
प्रयाग संगीत समिति से ग्वालियर घराने के पं. शांताराम विष्णु कशालकर के मार्गदर्शन में शास्त्रीय गायन में संगीत प्रवीण की उपाधि। लंबे समय तक किराना घराने के कलाकार उस्ताद आरिफ अली से भी तालीम ली। बीस से ज्यादा नाटकों में संगीत निर्देशन, लेकिन पेशे से टी.वी. पत्रकार। आकाशवाणी संगीत सम्मेलन समेत राष्ट्रीय स्तर के कई कार्यक्रमों में प्रस्तुतियाँ। पिछले 20 साल से विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में संगीत से जुड़े विषयों पर लगातार लेखन।
शिवेंद्र कुमार सिंह
जन्म 1978 में प्रयागराज में। लिखने-पढ़ने का शौक वहीं से लगा। नौकरी के लिए नोएडा आए। अमर उजाला, जी न्यूज, स्टार न्यूज और एबीपी न्यूज में पंद्रह साल तक नौकरी की। इस दौरान लंबे अरसे तक खेल पत्रकारिता की। क्रिकेट विश्व कप से लेकर ओलंपिक तक कवर किया। इसके बाद नौकरी छोड़कर स्वतंत्र पत्रकारिता के रास्ते पर आए। नौकरी छोड़ने की वजह बनी—रागगीरी। अपनी अगली पीढ़ी में शास्त्रीय संगीत के संस्कार डालने की कोशिश में जो मुहिम शुरू की वही रागगीरी है; प्रयास अनवरत जारी है।
इ-मेल : raaggiri@gmail.com
ट्विटर : raaggiri