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"कहानी का केंद्रीय विचार यह है कि कैसे एक छोटी सी राई (एक छोटा सा और साधारण सा तत्व) भी एक विशाल पर्वत (एक बड़े और शक्तिशाली तत्व) का रूप धारण कर सकती है। उपन्यास का नाम राई और पर्वत इस विचार को व्यक्त करता है कि जो बातें मामूली लगती हैं, वे कभी-कभी बहुत बड़ी और महत्वपूर्ण हो सकती हैं, यदि उनका सही तरीके से विश्लेषण किया जाए।
इस उपन्यास में रंगेय राघव ने उन असंख्य संघर्षों को चित्रित किया है, जो व्यक्ति समाज और अपने आसपास के परिवेश से करता है। यह उपन्यास एक सामान्य व्यक्ति के जीवन के छोटे-छोटे पहलुओं से शुरुआत करता है और फिर उन्हें बड़े सामाजिक और मानसिक पहलुओं में बदलता है। यह हमें यह समझाने की कोशिश करता है कि व्यक्ति की छोटी-सी बात या कार्य भी समाज पर गहरा असर डाल सकते हैं।"