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राहुल बारपुते हिंदी पत्रकारिता के पुरोधा हैं । उनके संपादकत्व में इंदौर की ' नईदुनिया ' हिंदी पत्रकारिता की एसी नर्सरी बनी, जिसकी जड़ें भाषाई और सामाजिक सरोकारों से ऊर्जा पाती थीं । यहाँ से कई नामचीन पत्रकार निकले । राहुलजी का आकाश अखबार में समाचार और विचारों की दुनिया तक सीमित नहीं रहा, उन्होंने जीवन की सार्थकता की तलाश कला और संस्कृति के संसार में भी खूब की । हर जगह वे अपनी छाप छोड़ने में सफल रहे । ऐसे बहुविध संपादक और पत्रकार कम ही हुए हैं । वे अपने नाम, अपने प्रभाव और अपनी ख्याति के फेर में कभी नहीं पड़े । उन्हें कलम की दुनिया का कबीर कहना ठीक होगा ।
प्रस्तुत पुस्तक युवा पत्रकार श्री विजयमनोहर तिवारी द्वारा परिश्रमपूर्वक लिपिबद्ध एकमात्र दस्तावेज हें, जिसमें उनके व्यक्तित्व और कृतित्व के कई जाने- अनजाने पहलू एक साथ सामने आए हैं ।
गणित में एम. एस. - सी. उपाधिधारी विजयमनोहर तिवारी द्वारा एक वर्ष कॉलेज में गणित का अध्यापन; माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता वि. वि. भोपाल से प्रथम श्रेणी में प्रथम पत्रकारिता स्नातक की उपाधि । ' नईदुनिया ' और ' सहारा - समय ' न्यूज चैनल में रिपोर्टिंग के बाद संप्रति ' दैनिक भास्कर ' में विशेष संवाददाता । चार पुस्तकें - ' सहरिया ', ' एक साध्वी की सत्ता - कथा ', ' हरसूद 30 जून ', ' प्रिय पाकिस्तान ' प्रकाशित । ' हरसूद 30 जून ' के लिए ' भारतेंदु हरिश्चंद पुरस्कार ' मिला ।