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भारतीय इतिहास में सर्वािधक लोकप्रिय राजाओं की अग्रिम पंक्ति में
अपनी पहचान बनानेवाले राजा भोज को भला कौन नहीं जानता! सहनशीलता, दयालुता, न्यायिप्रय, प्रजापालक, वीर, प्रतापी आदि गुणों के स्वामी राजा भोज की वीरता, साहस और न्यायप्रियता की कहानियाँ आज केवल भारतवर्ष में ही नहीं अपितु संपूर्ण विश्व में प्रचलित हैं। कहा जाता है कि राजा भोज अपने काल के लोकनायक के रूप में भी विख्यात हो चुके थे। उनके जीवन से जुड़ी कहावत ‘कहाँ राजा भोज-कहाँ गंगू तेली’ बहुत लोकप्रिय है। इस कहावत के पीछे राजा भोज के जीवन से जुड़ी अनेक कथाएँ प्रचलित हैं।
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अनुक्रम
अपनी बात —Pgs. 5
कौन थे राजा भोज? —Pgs. 9
राजा भोज और सिंहासन बत्तीसी —Pgs. 13
सिंहासन की दुर्दशा —Pgs. 22
बेईमान व्यापारी —Pgs. 29
सपनों का दर्पण —Pgs. 32
राजा भोज और पूर्वजन्म —Pgs. 35
राजा भोज का अभिमान —Pgs. 37
राजा भोज और चतुर बुढ़िया —Pgs. 39
राजा भोज की उदारता —Pgs. 43
एकता का अभाव —Pgs. 45
राजा भोज और बहुरूपिया —Pgs. 47
राजगुरु का चुनाव —Pgs. 50
राजा का धर्म —Pgs. 52
राजा भोज और बुुढ़िया —Pgs. 54
नेकनामी और बदनामी —Pgs. 56
जड़ और चेतन का अंतर —Pgs. 57
कहाँ राजा भोज, कहाँ गंगू तेली! —Pgs. 59
चींटी से मिली सीख —Pgs. 62
सूरत और सीरत —Pgs. 63
सत्य का प्रभाव —Pgs. 65
सबसे बड़ा झूठ —Pgs. 68
राजा भोज और बुद्धिमान तोता —Pgs. 69
राजा भोज का न्याय —Pgs. 71
घोड़े की कीमत —Pgs. 73
राजा भोज की बुद्धिमानी —Pgs. 75
राजा का कर्तव्य —Pgs. 77
राजा की भूल —Pgs. 79
राजा भोज और दो चोर —Pgs. 81
राजा भोज और आम का पेड़ —Pgs. 84
राजा भोज का अनोखा न्याय —Pgs. 87
राजा भोज और गरीब किसान —Pgs. 89
महादान का फल —Pgs. 92
राजा भोज के गुलदस्तें —Pgs. 94
राजा भोज और खिड़की —Pgs. 96
राजा भोज और भिखारी —Pgs. 98
राजा भोज और कला पारखी —Pgs. 101