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"कथक नृत्य के क्षेत्र में घराना एक व्यापक अर्थ में प्रयुक्त होता रहा है। घरानेदार गुरुओं ने इस नृत्य के विकास और संवर्धन में अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। रायगढ़ भी कथक नृत्य का एक ऐसा ही घराना है, जिसके संस्थापक राजा चक्रधर सिंह ने न केवल कथक नृत्य और कलाकारों को संरक्षण प्रदान किया, अपितु इस नृत्य से संबंधित सैद्धांतिक और प्रायोगिक पक्ष में परंपरागत तत्त्वों को यथावत् रखते हुए रचनात्मकता के शिखर पर ले जाने का सार्थक प्रयास किया। सामान्यजन तक कथक नृत्य की शिक्षा को सुलभ बनाने का श्रेय भी राजा साहब को ही प्राप्त है।
यह पुस्तक राजा चक्रधर सिंह द्वारा कथक नृत्य के क्षेत्र में किए गए उनके योगदान का सारगर्भित स्वरूप है, जो निस्संदेह इस नृत्य के विद्यार्थियों और कला-मर्मज्ञों के लिए लाभकारी सिद्ध होगी।"