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"नाटक राजा में रवींद्रनाथ ने राजा की सत्ता और उसके निर्णयों के प्रभाव को दिखाया है। राजा को यह अहसास होता है कि सत्ता के पास केवल बाहरी शक्ति है, लेकिन वह मानवता और सत्य की शक्ति से दूर हो जाता है। नाटक में एक पात्र की सामाजिक स्थिति और उसके आंतरिक संघर्षों को बहुत ही प्रभावशाली तरीके से चित्रित किया गया है। यहाँ पर सत्ता का एक गहरा प्रभाव दिखाया गया है, जिससे व्यक्ति के आंतरिक और मानसिक शांति का क्षरण होता है।
नाटक डाकघर का मुख्य पात्र आशा नामक एक छोटा बच्चा है, जो एक गंभीर बीमारी से ग्रस्त है और उसे बाहरी दुनिया के संपर्क में आने की अनुमति नहीं होती। वह अपनी बीमारी के कारण घर के अंदर ही रहता है, लेकिन उसकी कल्पना और मानसिक स्थिति उसे दुनिया के रंगीन पहलुओं का अनुभव करने का अवसर देती है।"