Prabhat Prakashan, one of the leading publishing houses in India eBooks | Careers | Events | Publish With Us | Dealers | Download Catalogues
Helpline: +91-7827007777

Raja Ravi Varma (PB)   

₹300

In stock
  We provide FREE Delivery on orders over ₹1500.00
Delivery Usually delivered in 5-6 days.
Author Ranjit Desai
Features
  • ISBN : 9788194778943
  • Language : Hindi
  • ...more
  • Kindle Store

More Information

  • Ranjit Desai
  • 9788194778943
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 2020
  • 288
  • Soft Cover

Description

यह एक ऐसे बालक की कहानी है, जो लकड़ी के कोयले से ताजा पुताई वाली दीवारों पर चित्र बनाते हुए बड़ा हुआ और जिसने आगे चलकर अपने कलात्मक कौशल के दम पर ‘राजा’ की पदवी प्राप्त की। अपनी पत्नी के घर में काम करनेवाली एक नायर महिला का चित्र बनाने पर उन्हें जितने क्रोध का सामना करना पड़ा, उतना ही सम्मान भी मिला। अनेक आलोचकों और प्रशंसकों का ध्यान महाराष्ट्र की महिला सुगंधा के साथ उनके गहरे संबंध की ओर आकृष्ट हुआ, जो उनके सर्वाधिक प्रसिद्ध चित्रों की मेनका, दमयंती और उर्वशी बनी। 
रवि वर्मा भारत के सबसे प्रसिद्ध चित्रकार थे। वे जितने विवादित थे, उतने ही प्रतिभावान। उन्होंने हिंदू देवी-देवताओं को मंदिर से बाहर लाकर सामान्य लोगों के घरों तक पहुँचाया और अपने ब्रश के स्पर्श से इतिहास की अनेक हस्तियों एवं पलों को अमर कर दिया। यूरोपीय कला से पूरी तरह प्रभावित वर्मा को अनेक अंतरराष्ट्रीय स्पर्धाओं में यश मिला और देश की कई रियासतों ने उन्हें सम्मानित किया। ऐसा कहा जाता है कि स्वामी विवेकानंद ने उनसे अपना छायाचित्र बनवाया था। 
सांस्कृतिक इतिहास से समृद्ध और ब्रिटिश राज की पृष्ठभूमि में लिखा गया प्रसिद्ध मराठी लेखक राजा रवि वर्मा के जीवन पर केंद्रित रणजीत देसाई का यह उपन्यास हमें भारत के पहले और महान् कलेंडर आर्टिस्ट के जीवन से जुड़ी कई नई बातों को जानने और उनके मन को समझने का अवसर देता है।

 

The Author

Ranjit Desai

रणजीत देसाई (8 अप्रैल, 1928— 6 मार्च, 1992) का जन्म महाराष्ट्र के कोल्हापुर में हुआ था। उन्होंने कई लघुकथाएँ, उपन्यास, नाटक और फिल्मों की स्क्रिप्ट आदि लिखीं। उन्हें अपनी पहली ही लघुकथा ‘भैरव’ के लिए पुरस्कृत किया गया था, जो 1946 में ‘प्रसाद’ में छपी थी। उनकी सबसे लोकप्रिय रचनाओं में छत्रपति शिवाजी के जीवन पर लिखा ऐतिहासिक उपन्यास ‘श्रीमान योगी’, ‘मोरपंखी सवाल्या’ और ‘स्वामी’ हैं। उन्हें महाराष्ट्र राज्य अवार्ड (1963), हरि नारायण आप्टे अवार्ड (1963), साहित्य अकादेमी सम्मान (1964), भारत सरकार की ओर से पद्मश्री (1973) तथा महाराष्ट्र गौरव पुरस्कार (1990) से विभूषित किया गया।

Customers who bought this also bought

WRITE YOUR OWN REVIEW