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"राजर्षि की कहानी एक राजा की है, जो सत्ता और भौतिक सुखों में लिप्त होने के बावजूद अपने जीवन के वास्तविक उद्देश्य को पहचानता है। राजा, जो पहले दुनियावी इच्छाओं और महत्वाकांक्षाओं में बंधा था, बाद में समझता है कि असली सुख और शांति सिर्फ बाहरी दुनिया से नहीं, बल्कि आंतरिक शांति, सत्य, और ज्ञान से मिलती है। उपन्यास में राजा का आध्यात्मिक रूपांतरण और उसके भीतर की आत्मिक यात्रा को दर्शाया गया है।
चार अध्याय में चार अलग-अलग अध्यायों के माध्यम से रवींद्रनाथ ने समाज और मानवता के विविध आयामों को चित्रित किया है। उपन्यास में पात्रों के बीच के रिश्तों, उनके मानसिक संघर्षों, और जीवन के प्रति उनकी दृष्टिकोण को बताया गया है। इसमें यह भी दिखाया गया है कि कैसे समाज के आदर्शों और जीवन के सत्य को पहचानने की यात्रा व्यक्तिगत और सामाजिक विकास की दिशा में आवश्यक होती है।"