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"सुविज्ञ इतिहासविदों द्वारा लिखित इस पुस्तक में राजस्थान इतिहास एवं संस्कृति की विभिन्न धाराओं का प्रामाणिक तथा सर्वग्राही विवरण, संक्षेप में (प्रारंभ से राजस्थान के एकीकरण तक का) प्रस्तुत किया गया है।
लेखकद्वय ने अपने दीर्घ अनुभव के आधार पर राजस्थान के इतिहास की यात्रा के प्रत्येक पड़ाव को प्रस्तुत कृति में तथ्यात्मक रूप से अनुरेखित करने का गंभीर प्रयास किया है। उनकी यह लेखन यात्रा तेज रफ्तार या इंटरनेट की सर्फिग नहीं बल्कि कँटीले पथ पर की गई यात्रा थी, जिसका सुपरिणाम सुविज्ञ पाठकों एवं विद्वतजनों के समक्ष एक विनम्र प्रतिफल के रूप में है।
'राजस्थान का ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक दिग्दर्शन' को तीन खण्डों में विभक्त किया गया है, यथा- प्राचीन एवं मध्यकालीन राजस्थान, आधुनिक राजस्थान एवं राजस्थान: समाज एवं संस्कृति। अध्ययन की सुविधा के लिए किया गया कालखंड विभाजन परीक्षोपयोगी रहेगा। कृति में कुल 36 अध्याय हैं जिनको यथोचित विस्तार दिया गया है। यह ग्रंथ एक कोश का संक्षिप्त रूप है, जिसमें विषय से संबंधित अधिकांश तथ्य एवं विश्लेषण समाहित हैं।
लेखकद्वय द्वारा इस पुस्तक की रचना का मुख्य प्रयोजन विभिन्न राज्यस्तरीय प्रतियोगी परीक्षाओं एवं विश्वविद्यालय-महाविद्यालय स्तर के स्तरीय पाठ्यक्रमों के अनुरूप मानक अध्ययन सामग्री का संयोजन प्रस्तुत करना है।"