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Rajneeti Ki Lok-Sanskriti   

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Author Ram Bahadur Rai
Features
  • ISBN : 9789353224646
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1st
  • ...more

More Information

  • Ram Bahadur Rai
  • 9789353224646
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1st
  • 2019
  • 328
  • Hard Cover

Description

आधुनिक भारतीय राजनीति और समाज में गोविंदाचार्य ने एक लोक संबद्ध समाजसेवी, राजनीतिकर्मी और चिंतक के रूप में ऐतिहासिक भूमिका निभाई है। राजनैतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक  चिंतन  के  ठहराव  को गोविंदाचार्य के विचार गतिशीलता के लिए प्रेरित करते हैं, गतिरोध को तोड़ते हैं। वर्तमान भारतीय समाज को बदहाली से मुक्त करने के लिए उन्होंने नितांत मौलिक चिंतन के द्वारा नए रास्ते सुझाए हैं। अगर अपनी दलीय सीमाओं से ऊपर उठकर गोविंदाचार्य के सुझाव पर विचार किया जा सके तो अनेक सार्थक निष्कर्ष सामने आएँगे।
यह  पुस्तक  गोविंदाचार्य  की राजनैतिक यात्रा का रेखाचित्र है। यह उनकी जीवनी नहीं है। संस्मरण भी नहीं है। इसमें गोविंदाचार्य को केंद्र में रखकर पिछले 50 वर्षों की राजनीति के संसार को समझने की कोशिश की गई है।

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अनुक्रम

संपादकीय

पुरोकथन —Pgs. 7

खंड-1

समय और जीवन

1. अपना विश्वविद्यालय (1964-1974) —ब्रजेश कुमार —Pgs. 21

2. संघर्ष और रचना (1975-1988) —हिमांशु शेखर —Pgs. 38

3. दलीय राजनीति के प्रसंग-1 (1988-1993) —मनोज के. झा —Pgs. 63

4. दलीय राजनीति के प्रसंग-2 (1994-2000) —मनोज के. झा —Pgs. 91

5. अध्ययन अवकाश की उपल​ब्धियाँ (2000-2003) —राकेश सिंह —Pgs. 116

6. स्वाभिमान आंदोलन से आजतक (2004-2019) —विमल कुमार सिंह —Pgs. 138

7. गोविंदाचार्य : क्रमशः जीवन —Pgs. 193

खंड-2

सवालों के सामने चर्चित मुद‍्दे और गोविंदाचार्य से बातचीत

साक्षात्कार

• भाजपा से विदाई : खबरें और रामबहादुर राय द्वारा साक्षात्कार —Pgs. 199

• आ​र्थिक हमलावरों से देश को बचाइए   (बातचीत : राजेश कौ​शिक, 2000 ई.) —Pgs. 210

• राजनीति छोड़ने का फैसला अंतिम (श्यामलाल यादव, 2003) —Pgs. 213

• भारतीय समाज सिर्फ सत्ता आधारित नहीं (ह​र्षित जैन, 2005) —Pgs. 218

• समाज आगे और सत्ता पीछे, तभी होगा विकास   (विमल कुमार सिंह और ब्रजेश कुमार, 2007) —Pgs. 221

• समानांतर राजनीतिक आंदोलन का समय (मनोज के. झा, 2007) —Pgs. 228

• जनप्रतिनि​धि का फैसला आलाकमान नहीं,  जनता करे (गोविंद सिंह, 2007) —Pgs. 232

• व्यवस्था परिवर्तन है मेरा लक्ष्य (हिमांशु शेखर, 2008) —Pgs. 237

• देश को सार्थक विपक्ष चाहिए   (विमल कुमार सिंह और विवेक त्यागी, 2011) —Pgs. 243

• अध्ययन अवकाश पर जाने के सिलसिले में पार्टी को लिखा गया पत्र —Pgs. 264

• बाजारवाद की अंधी गली : निकलने का रास्ता —Pgs. 266

• गोविंदाचार्य के सवाल टाले नहीं जा सकते : रामबहादुर राय —Pgs. 272

• बिंदु-बिंदु विचार : गोविंदाचार्य —Pgs. 277

• समय के सवाल : गोविंदाचार्य —Pgs. 280

परिशिष्ट

परि​शिष्ट-1

प्रस्थान (अध्ययन अवकाश से लौटने के बाद गोविंदाचार्य का पहला सार्वजनिक भाषण) —Pgs. 289

परि​शिष्ट-2

राष्ट्रीय स्वाभिमान आंदोलन का स्वरूप —Pgs. 308

परि​शिष्ट-3

वे दिन, वे लोग —Pgs. 317

The Author

Ram Bahadur Rai
रामबहादुर राय
1946 में गाजीपुर, उत्तर प्रदेश में जन्म। लिख-पढ़कर औपनिवेशिक राज्यव्यवस्था में परिवर्तन के लक्ष्य से 1979 में पत्रकारिता की राह ली। काशी हिंदू विश्वविद्यालय से (अर्थशास्त्र) में एम.ए.। राजस्थान विश्वविद्यालय से पत्रकारिता में पोस्टग्रेजुएट डिप्लोमा। अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय, रीवा, मध्य प्रदेश के कला संकाय के अंतर्गत डी.लिट. की मानद उपाधि। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में राष्ट्रीय सचिव का दायित्व निर्वहन किया। लोकनायक जयप्रकाश नारायण की प्रेरणा से बाँग्लादेश मुक्ति संग्राम में सक्रिय रहे। 1974 के बिहार आंदोलन में संचालन समिति के सदस्य रहे, उसी आंदोलन में पहले मीसाबंदी; इमरजेंसी में भी बंदी रहे। ‘हिंदुस्थान समाचार’, ‘जनसत्ता’ और ‘नवभारत टाइम्स’ में रहे। जनसत्ता में संपादक, समाचार सेवा का दायित्व निर्वहन किया। ‘प्रथम प्रवक्ता’ व ‘यथावत’ पाक्षिक के संपादक रहे। वर्तमान में हिंदुस्थान समाचार बहुभाषी न्यूज एजेंसी के समूह संपादक और सदस्य, निदेशक मंडल। ‘यथावत’ हिंदी पाक्षिक में ‘अभिप्राय’ स्तंभ। अध्यक्ष, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र; कुलाधिपति (चांसलर), श्री गुरुगोविंद सिंह ट्राई सेंटेनरी विश्वविद्यालय (एस.जी.टी.यू.); सदस्य, राजघाट गांधी-समाधि समिति; सचिव, अटल स्मृति न्यास; ट्रस्टी, प्रज्ञा संस्थान; प्रबंध न्यासी, प्रभाष परंपरा न्यास; चेरयमैन और ट्रस्टी, सोशल एंड पॉलिटिकल रिसर्च फाउंडेशन (एस.पी.आर.एफ.); सदस्य, नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाईब्रेरी सोसायटी; ट्रस्टी, कृपलानी मेमोरियल ट्रस्ट।
पुस्तकें : ‘रहबरी के सवाल’, ‘मंजिल से ज्यादा सफर’, ‘शाश्वत विद्रोही राजनेता आचार्य जे.बी. कृपलानी’, ‘नीति और राजनीति’। अनेक पुस्तकों का संपादन। पद्मश्री सहित अनेक सम्मान।

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