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“तुम बहुत भोली हो, बेगम! बदले हुए हालात से परिचित नहीं हो। तुम नहीं जानतीं कि राजनीति की शतरंज कैसे खेली जाती है! दौलत, दारू और दबदबा—इस त्रिकोण के ये तीन मुख्य बिन्दु हैं।”
“अच्छा, तो इस त्रिकोण का तीसरा मुख्य बिन्दु पन्नालाल इसीलिए आज आपके सहयोगियों में शामिल है! शराब का यह बदनाम ठेकेदार नकली शराब से कितने ही लोगों की जान ले चुका है अब तक!”
“तो इससे क्या हुआ? उस दिन देखना, जब चुनाव से पहली रात गली-गली, मोहल्ले-मोहल्ले दारू के प्याऊ खोल दिए जाएँगे। लोग पिएँगे, झूमेंगे, नाचेंगे, ‘शानदार अली खाँ जिन्दाबाद’ बोलेंगे और झोलियाँ भर-भरकर अपने वोट मत-पेटियों में बन्द कर देंगे।”
“यह तुम्हारी भूल है, अली! लोग अब इतने मूर्ख नहीं रहे हैं।”
“तो अक्लमन्दों को सबक सिखानेवाले भी मेरे पास हैं, बेगम! जबरसिंह और भूसा पटेल, यानी—नोट और खौफ।”
—इसी संकलन से
जनता और उसके कल्याण के नाम पर जनतत्र की नकली नौटंकी के वर्तमान परिदृश्य तथा राजनीतिक आदर्शों, आस्थाओं, मूल्यों और मर्यादाओं की लगातार दुर्दशा के जाने-पहचाने दृश्यबन्ध, जो अपनी निर्मम निर्लज्जता से दहलाते हैं, मतलबी मक्कारियों से मायूसी की मनहूसियत फैलाते हैं और पाठक के मन में जगाते हैं कुछ अनबूझे सवाल—
जन्म : सन् 1944, संभल ( उप्र.) ।
डॉ. अग्रवाल की पहली पुस्तक सन् 1964 में प्रकाशित हुई । तब से अनवरत साहित्य- साधना में रत आपके द्वारा लिखित एवं संपादित एक सौ से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं । आपने साहित्य की लगभग प्रत्येक विधा में लेखन-कार्य किया है । हिंदी गजल में आपकी सूक्ष्म और धारदार सोच को गंभीरता के साथ स्वीकार किया गया है । कहानी, एकांकी, व्यंग्य, ललित निबंध, कोश और बाल साहित्य के लेखन में संलग्न डॉ. अग्रवाल वर्तमान में वर्धमान स्नातकोत्तर महाविद्यालय, बिजनौर में हिंदी विभाग में रीडर एवं अध्यक्ष हैं । हिंदी शोध तथा संदर्भ साहित्य की दृष्टि से प्रकाशित उनके विशिष्ट ग्रंथों-' शोध संदर्भ ' ' सूर साहित्य संदर्भ ', ' हिंदी साहित्यकार संदर्भ कोश '-को गौरवपूर्ण स्थान प्राप्त हुआ है ।
पुरस्कार-सम्मान : उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान, लखनऊ द्वारा व्यंग्य कृति ' बाबू झोलानाथ ' (1998) तथा ' राजनीति में गिरगिटवाद ' (2002) पुरस्कृत, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, नई दिल्ली द्वारा ' मानवाधिकार : दशा और दिशा ' ( 1999) पर प्रथम पुरस्कार, ' आओ अतीत में चलें ' पर उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान, लखनऊ का ' सूर पुरस्कार ' एवं डॉ. रतनलाल शर्मा स्मृति ट्रस्ट द्वारा प्रथम पुरस्कार । अखिल भारतीय टेपा सम्मेलन, उज्जैन द्वारा सहस्राब्दी सम्मान ( 2000); अनेक संस्थाओं द्वारा सम्मानोपाधियाँ प्रदत्त ।