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"विश्व के शीर्ष राष्ट्रों में शुमार भारतवर्ष को देखकर आज किस भारतीय का सीना चौड़ा नहीं होता होगा; लेकिन आज बराबरी और सम्मान के जिस मुकाम पर हम खड़े हैं, वहाँ हम यों ही नहीं पहुँचे हैं। इसके लिए हमें अनगिनत कुरबानियाँ देनी पड़ी हैं, लाखों जवानियाँ काल-कोठरी के पीछे खुशी- खुशी कैद हुई हैं। उनमें से कुछ को ही हम जानते हैं और बाकियों की स्मृति कस्बों एवं गाँवों में सिमटकर रह गई है।
यह पुस्तक ऐसे ही गुमनाम स्वातंत्र्य साथकों के बारे में है, जिन्होंने अपना सर्वस्व भारतमाता की स्वाधीनता के लिए हँसते-हँसते न्योछावर कर दिया, पर वे इतिहास की नामचीन क्या, साधारण सी पुस्तकों का भी हिस्सा नहीं बन सके। वैसे यह उनको इच्छा भी नहीं थी कि उनका नाम हो, लेकिन आज को युवा पीढ़ी और स्कूली बच्चों को उनके बारे में जानना आवश्यक है कि वे कौन महापुरुष थे। 'जरा याद उन्हें भी कर लो' इसी उद्देश्य को लेकर कहानी-दर-कहानी मजबूती से आगे बढ़ती है। चिरंजीव सिन्हा की पुस्तक ' रक्त का कण-कण समर्पित” उत्तर प्रदेश के गुमनाम स्वाधीनता सेनानियों की प्रेरक गाथाओं का पठनीय संकलन है।"
चिरंजीव सिन्हा
मूल रूप से पटना, बिहार के चिरंजीव वर्तमान में अपर पुलिस अधीक्षक कानून व्यवस्था के पद पर लखनऊ में कार्यरत हैं।
हमारे घर और आस-पास की रोजमर्रा की जिंदगी में से बेशकीमती पलों और संवेदनाओं को ढूँढ़कर उन्हें कहानियों में पिरो लेना उनके लेखन की विशेषता है। जीवन में रिश्तों से महत्त्वपूर्ण कुछ भी नहीं, ऐसा उनका विश्वास है और यही विश्वास उनकी कहानियों में दिखाई देता है।
चिरंजीव नाथ सिन्हा से आप कभी भी
chiranjeevstf@gmail.com
पर संपर्क कर सकते हैं।