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Author Ravindra Jugran
Features
  • ISBN : 9788185829999
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1st
  • ...more
  • Kindle Store

More Information

  • Ravindra Jugran
  • 9788185829999
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1st
  • 2016
  • 236
  • Hard Cover

Description

भारत ही नहीं, आज संपूर्ण विश्‍व-पटल पर जम्मू कश्मीर के मुद‍्दे को ज्वलंत समस्या बना दिया गया है । जम्मू कश्मीर की वर्तमान परिस्थितियों पर अनेक लेखकों, पत्रकारों एवं समाज-सेवकों ने अपनी लेखनी चलाई है; किंतु यह पुस्तक अपने आपमें एक अलग ही सच बयां करती है । ' रक्‍तरंजित जम्मू कश्मीर ' वहाँ के सामाजिक परिवेश का सजीव दस्तावेज है । लेखक रवींद्र जुगरान ने वर्षों वहाँ रहकर आतंकवाद से पीड़ित समाज के दुःखों को प्रत्यक्ष अपनी आँखों से देखा है । इस पुस्तक में लेखक ने जम्मू कश्मीर में नासूर बने आतंकवाद के सभी पहलुओं को अपने प्रत्यक्ष अनुभवों के आधार पर रेखांकित किया है । कश्मीर घाटी में शांति के प्रयासों के तहत विभिन वर्गों, उग्रवादी संगठनों तथा सरकार के बीच बातचीत के मुद‍्दे क्या हों, बातचीत में किनको शामिल किया जाए, बातचीत किनसे की जाए-से महत्वपूर्ण मुद‍्दों की ओर जनसामान्य और सरकार का ध्यान इस पुस्तक के माध्यम से आकृष्‍ट कराया गया है । आतंकवादियों द्वारा कश्मीर घाटी में किस प्रकार हिंदुओं एव मुसलमानों के बीच घृणा पैदा को गई; हत्या, बलात्कार, अपहरण आदि के कैसे-कैसे घिनौने तांडव किए गए-इन सबको पाठकों के सामने रखने का उद‍्देश्य यह है कि वे जान सकें कश्मीर का सच क्या है, शत्रु राष्‍ट्र का षड्यंत्र कितना और कहाँ तक सफल हो पाया है! हमें विश्‍वास है कि यह पुस्तक राष्‍ट्र प्रहरियों एवं जम्मू कश्मीर के त्रस्त समाज को आतंकवादियों से लड़ने का संबल प्रदान करेगी!

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अनुक्रम

प्रस्तावना — Pgs. ९

मेरा नम्र निवेदन — Pgs. ११

१. भौगोलिक-सांस्कृतिक परिदृश्य — Pgs. १३

२. आतंकवाद की पृष्ठभूमि — Pgs. २५

३. अलगाववाद की सियासी चाल — Pgs. ४५

४. आतंकवाद की तैयारी — Pgs. ५८

५. आतंकवाद का स्वरूप — Pgs. ६८

६. समाज की भूमिका और संघर्ष — Pgs. १००

७. आतंकवादी संगठन का जालतंत्र — Pgs. ११३

८. कश्मीर की स्वायत्तता का प्रस्ताव — Pgs. ११६

९. भारत का शांति प्रयास — Pgs. १२१

१०. पाकिस्तान का रवैया — Pgs. १२५

११. कश्मीर समस्या पर अंतरराष्ट्रीय समर्थन — Pgs. १३२

१२. आतंकवाद का समाज पर प्रभाव — Pgs. १३९

१३. सरकार, प्रशासन और पुलिस की भूमिका — Pgs. १४६

१४. सामाजिक-राजनीतिक संगठनों की भूमिका — Pgs. १५९

१५. आतंकवाद समाप्त करने के उपाय — Pgs. १७३

१६. जनमानस के विचार — Pgs. १८४

१७. आतंकवादी घटनाओं का विवरण — Pgs. १९८

The Author

Ravindra Jugran

जन्म 29 दिसंबर, 1969 को हुआ। दिल्ली विश्‍वविद्यालय से कला स्नातक तथा हिंदी साहित्य सम्मेलन, प्रयाग से पत्रकारिता एवं जनसंचार विशारद की उपाधियाँ प्राप्‍त कीं । अनेक पत्र-पत्रिकाओं में आपके लेख, कविता, कहानियाँ आदि समय-ममय पर प्रकाशित होते रहे हैं । रा. स्व संघ के प्रचारक के रूप में जम्मू कश्मीर राज्य के आतंकवादग्रस्त क्षेत्रों में दस वर्षों तक जान हथेली पा रखकर देशकार्य करते रहे । साथियों के अनुसार, आप अनेक बार आतंकवादियों के चंगुल में आने से बचे । अनेक पुरस्कारों से सम्मानित आप योगाचार्य एवं सामाजिक कार्यकर्ता होने का दायित्व निभाते हुए वर्तमान में पत्रकारिता एवं स्वतंत्र लेखन के कार्य में रत हैं!

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