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‘जातस्य हि धु्रवोर्मृत्यु ध्रुवजन्म मृतस्य च’, अर्थात् जिसकी मृत्यु निश्चित है, उस मृतक का जन्म भी निश्चित है। हिंदी के प्रसिद्ध साहित्यकार व चिंतक-विचारक डॉ. विवेकी राय इस विधान से बाहर कैसे रह सकते थे।
उनके सृजन-संसार का विपुल भंडार साहित्य-जगत् को उपलब्ध है। हालाँकि उनके रचना-कर्म की अमूल्य गठरी में अभी बहुत कुछ है, जिसे लोकमानस तक पहुँचाया जाना शेष है। उसकी एक महत्त्वपूर्ण कड़ी है बाबूजी की शुचिता और संबंधों के बीच रचना विधान का लोकसृजन करती यह कृति ‘रामकथा आराम’। उनकी यह धरोहर पाठक तक पहुँचे, जिससे साहित्य की विपुल संपदा को और समृद्धि मिले।
सोलह रचनाशिल्पियों की विधागत दक्षता को पन्नों पर उकेरती यह कृति न सिर्फ ऋषि-परंपरा की साहित्यिक विपुलता को आम पाठक वर्ग तक संप्रेषित करेगी बल्कि विविध विधाओं में रचे विधान को पाठकों के समक्ष प्रस्तुत कर एक नई दृष्टि का सूत्रपात करेगी।
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अनुक्रम
दो शब्द —Pgs. 7
अपनी बात —Pgs. 9
1. अच्युतानंद मिश्र : हिंदी पत्रकारिता के संरक्षक —Pgs. 13
2. रामबहादुर राय : हिंदी पत्रकारिता के कीर्तिमान —Pgs. 37
3. हरिवंशराय बच्चन : कुछ यादें —Pgs. 57
4. मनु शर्मा : कृष्ण की आत्मकथा —Pgs. 64
5. प्रभाष जोशी : युग-मनीषी के साथ कुछ क्षण —Pgs. 71
6. स्वामी रामानंदाचार्य : सद्गुरु की शब्द-सेनाएँ लड़ रही हैं —Pgs. 76
7. स्वामी अड़गड़ानंद और गीता विस्तार —Pgs. 98
8. उमेश प्रसाद सिंह : निबंध का छंद बनती सूखी नदी —Pgs. 106
9. नर्मदा प्रसाद उपाध्याय : कलाबोध और इतिहासबोध का संगम ‘पार रूप के’ है —Pgs. 112
10. अर्जुनदास केसरी : सोनभद्र का सर्वतोभद्र केसरी —Pgs. 117
11. वेदप्रकाश अमिताभ : समीक्षक अर्थात् ‘सार सार को गहि’ —Pgs. 122
12. ऋतु शुक्ल : धारा के विरुद्ध बह रही ‘अरुंधती’ —Pgs. 134
13. रामावतार : ढलती शाम के बूढ़ों को आश्वस्ति मिलती रहे —Pgs. 139
14. पी.एन. सिंह : निष्प्रभ-प्रभ आईना और उसमें झलकती कुबेरनाथ राय की प्रभा —Pgs. 150
15. मांधाता राय : सूरदास पर पुनर्पाठ —Pgs. 155
16. रमापति पांडेय : रामकथा विश्राम —Pgs. 164
विवेकी राय
जन्म : 19 नवंबर, 1924 को गाँव : भरौली, जिला बलिया (उ.प्र.) में।
शिक्षा : पैतृक गाँव : सोनवानी, जिला : गाजीपुर में। शुरू में कुछ समय खेती-बारी में जुटने के बाद अध्यापन कार्य में संलग्न।
रचना-संसार : ‘बबूल’, ‘पुरुषपुराण’, ‘लोकऋण’, ‘श्वेत-पत्र’, ‘सोनामाटी’, ‘समर शेष है’, ‘मंगल-भवन’, ‘नमामि ग्रामम्’, ‘अमंगलहारी एवं देहरी के पार’ (उपन्यास); ‘फिर बैतलवा डाल पर’, ‘जुलूस रुका है’, ‘गँवई गंध गुलाब’, ‘मनबोध मास्टर की डायरी’, ‘वन-तुलसी की गंध’, ‘आम रास्ता नहीं है’, ‘जगत् तपोवन सो कियो’, ‘जीवन अज्ञात का गणित है’, ‘चली फगुनहट बौरे आम’ (ललित-निबंध); ‘जीवन परिधि’, ‘गूँगा जहाज’, ‘नई कोयल’, ‘कालातीत’, ‘बेटे की बिक्री’, ‘चित्रकूट के घाट पर’, ‘सर्कस’ (कहानी-संग्रह); छह कविता-संग्रह, तेरह समीक्षा ग्रंथ, दो व्यक्तित्व व कृतित्व पर आधारित ग्रंथ, दो संस्मरण ग्रंथ, चार विविध, नौ ग्रंथ लोकभाषा भोजपुरी में भी, पाँच संपादन। कई कृतियों का अन्य भाषाओं में अनुवाद। 85 से अधिक पी-एच.डी.।
सम्मान-पुरस्कार : प्रेमचंद पुरस्कार, साहित्य भूषण तथा महात्मा गांधी सम्मान, नागरिक सम्मान, यश भारती, आचार्य शिवपूजन सहाय पुरस्कार, राष्ट्रीय शरद जोशी सम्मान, महापंडित राहुल सांकृत्यायन सम्मान, सेतु सम्मान, साहित्य वाचस्पति, महावीर प्रसाद द्विवेदी सम्मान।
स्मृतिशेष : 22 नवंबर, 2016