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भारत के पूर्व राष्ट्रपति मान. श्री राम नाथ कोविन्दजी का निर्वाचित होना भारतीय लोकतंत्र, संविधान, संस्कृति और जन-आकांक्षा की अप्रतिम अभिव्यक्ति का प्रतीक है। सामान्य परिवार में जन्म लेकर विश्व के महान् लोकतांत्रिक राष्ट्र भारतवर्ष के प्रथम शिखर- पुरुष 'राष्ट्रपति' के रूप में समादृत होने वाले श्री राम नाथ कोविन्दजी ने बिहार के 36वें राज्यपाल के रूप में शपथ-ग्रहण करने बाद, अपने लगभग 23 महीनों के संक्षिप्त कार्यकाल में राज्य के संवैधानिक प्रमुख के रूप में कार्य करते हुए अपनी अद्भुत नेतृत्व क्षमता, मार्गदर्शन, वैचारिक गांभीर्य और लोकप्रियता के आदर्श मानदंड स्थापित किए। उनके सरल-सहज और सौम्य व्यक्तित्व में देश और समाज के हर वर्ग के लिए आत्मीयतापरक अनुराग की भावना सदा विद्यमान रही है, राष्ट्र को पूरे विश्व का सिरमौर देखने की मंगलकामना रही है तथा भारतीय लोकतंत्र और संविधान की गरिमा एवं मर्यादा के प्रति अटूट आस्था रही है।
प्रस्तुत पुस्तक में संपादित आलेख श्री राम नाथ कोविन्द बिहार के राज्यपाल के रूप में दिए संभाषणों के संग्रहीत रूप हैं। उनके विचार यों तो अधिकतर बिहार प्रांत के संदर्भ में ही प्रकट हुए हैं; परंतु उनकी वैचारिकता राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रसंगों का भी संस्पर्श करती इतनी सारगर्भित, संतुलित और सर्वसमाहारी रूप में आगे बढ़ी है, जिससे उनके व्यक्तित्व की प्रभविष्णुता और असाधारण सज्जनता, सौम्यता और सुस्थिरता सहज रूप में प्रकट हो सकी है।