₹400
भारत से लेकर वैश्विक स्तर तक ऐसे मनीषियों की लंबी शृंखला है, जिन्होंने अपने विचार, कर्म और सकारात्मक दृष्टि से मानव सभ्यता को शिखर पर आच्छादित कर दिया, लेकिन कुछ व्यक्तियों के कारण राजनीति को पतितों की अंतिम शरणस्थली तक कहा जाने लगा। इसी पतनोन्मुख व्यवस्था में नरेंद्र मोदी के रूप में एक ऐसे महामानव का उदय हुआ, जिन्होंने राजनीति के मर्म को अपना धर्म समझते हुए मानवमात्र के कल्याण को अपना उद्देश्य बना लिया। अपने स्वहित को राष्ट्रहित और समाजहित में समाहित कर दिया। मानव सेवा को अपने जीवन का सर्वोच्च लक्ष्य बनाते हुए राजनीति के मूलभाव को पुनः स्थापित करने का महान् कार्य किया।
श्री नरेंद्र मोदी के व्यक्तित्व और कृतित्व ने राजनीति को पुनः सेवा, श्रम और त्याग का माध्यम बना दिया। सेवा और त्याग की भावना के बिना राजनीति में संवेदना संभव नहीं। संवेदनशील व्यक्ति ही राजनीति के मर्म और धर्म को समझते हुए राष्ट्र के लिए प्राणोत्सर्ग कर सकता है, जो निश्चित रूप से नरेंद्र मोदी के व्यक्तित्व में निहित है।
‘सबका-साथ, सबका-विकास’ सिर्फ नारा नहीं, बल्कि नरेंद्र मोदी का जीवन दर्शन है, जो उन्हें गांधी, आंबेडकर, दीनदयाल, जे.पी. और लोहिया के विचार सागर से निचोड़ के रूप में प्राप्त हुआ है।
प्रस्तुत पुस्तक हमारे जनप्रिय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जनोन्मुखी कार्यों को प्रमुखता से चिह्नित करने का एक विनम्र प्रयास है।
उषा विद्यार्थी
जन्म : पटना जिले का बिहटा बिक्रम इलाका स्वतंत्रता प्राप्ति के पहले से ही राजनैतिक दिग्गजों का कर्मक्षेत्र रहा है। स्वामी सहजानंद सरस्वती से लेकर कैलाशपति मिश्र तक के राजनैतिक एवं सामाजिक संघर्ष की यह भूमि है। इसी इलाके के बिक्रम प्रखंड के दतियाना ग्राम के स्वतंत्रता सेनानी श्री बटेश्वर सिंह (दादाजी) एवं प्रो. राम प्रवेश शर्मा (पिताजी) के परिवार में डॉ. उषा विधार्थी का जन्म हुआ।
शिक्षा एवं छात्र जीवन : ग्रामीण परिवेश से प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त करके पटना विश्वविद्यालय से राजनीति शास्त्र विज्ञान में एम.ए. एवं पटना वीमेंस कॉलेज से गृहविज्ञान में एम.ए. की डिग्री प्राप्त की। राजनीति विज्ञान की छात्रा रहते हुए छात्र संगठनों से जुड़कर सामाजिक मुद्दों से सरोकार बनाए रहीं और अंततः अखिल विद्यार्थी परिषद् से जुड़ गईं।
शिक्षण-कार्य : पहले मगध विश्वविद्यालय एवं अब पाटलिपुत्र विश्व-विद्यालय में राजनीति शास्त्र विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर कार्यरत हैं।
लेखन : ‘लोहिया एक बहुआयामी व्यक्तित्व’ पुस्तक प्रकाशित।
कृतित्व : पिछले दो दशकों से ज्यादा वर्षों से भारतीय जनता पार्टी से जुड़ीं और बिहार भाजपा के महिला मोर्चा महामंत्री, पंचायती राज मंच की अध्यक्ष, भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष एवं प्रदेश प्रवक्ता के पद पर कार्य कर चुकी हैं। बिक्रम एवं पालीगंज विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ चुकी डॉ. उषा विधार्थी 2010 के विधानसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी के रूप में विजयी हुईं और विधायक बनीं। इसके पहले बिक्रम से पटना जिला परिषद् के लिए भी निर्वाचित हुईं। 2017 में बिहार राज्य महिला आयोग की सदस्या बनीं।
संप्रति : पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय के टी.पी.एस. कॉलेज, पटना में राजनीति शास्त्र विभाग की सह-प्राध्यापिका।