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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का अर्थ है-“अपनी इच्छा से राष्ट्र की सेवा करनेवालों का अनुशासित समूह” | इसीलिए देश की सीमाओं पर या देश के अंदर किसी भी संकट में स्वयंसेवक सबसे पहले और सबसे आगे खड़े मिलते हैं |
संघ की सबसे बड़ी विशेषता उसकी कार्यप्रणाली है | संघ की वृद्धि का कारण भी यही है | इसी से वह अन्य संगठन और संस्थाओं से अलग है | बाकी संस्थाएँ धरना-प्रदर्शन, वार्षिकोत्सव, धर्मसभा आदि के माध्यम से काम करती हैं; पर संघ की कार्यप्रणाली का केंद्र दैनिक शाखा और उसमें होनेवाले कार्यक्रम हैं |
स्वयंसेवक की पहचान उसके राष्ट्रीय विचार और सद्व्यवहार से होती है, किसी विशिष्ट वेश या बाहरी चिह्न से नहीं ।संघ हिंदू समाज में नहीं, हिंदू समाज का संगठन है ।इसलिए स्वयंसेवक समाज में बाकी सबकी तरह ही रहता है |
संघ की कार्यप्रणाली की एक बड़ी विशेषता उसका लचीलापन है। समय, स्थान और माहौल के अनुसार इसमें कई बार परिवर्तन हुए हैं । पहले सैन्य परेड, सैनिक गणवेश और शस्त्र प्रशिक्षण पर जोर रहता था; पर फिर खेल, योगासन और नियुद्ध आदि आ गए | गणवेश भी कई बार बदला है | इस लचीलेपन के कारण प्रतिबंधों के समय भी किसी-न-किसी रूप में संघ का काम चलता रहा।
विजय कुमार 1991 बैच के भारतीय रक्षा लेखा सेवा (आई.डी.ए.एस.) के अधिकारी हैं, जो वर्तमान में प्रधान वित्तीय सलाहकार, वायुसेना मुख्यालय, नई दिल्ली में कार्यरत हैं । दिल्ली विश्वविद्यालय से एम.ए. की डिग्री हासिल कर सिविल सर्विस में आए। पठन-पाठन जारी रखते हुए एम.बी.ए. (एच.आर.डी. ) की डिग्री भी हासिल की। सरकारी काम-काज की व्यस्तता के बावजूद थोड़ा समय साहित्य सृजन के लिए निकालते रहे | उनकी कविताएँ व कहानियाँ विभिन्न विभागीय पत्रिकाओं में स्थान पाती रहीं । 'तीन पैरोंवाला' काव्य-संग्रह उनकी पहली पुस्तक है। एक कहानी-संग्रह भी शीघ्र प्रकाश्य