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विश्व की महत्वपूर्ण चिकित्सा पद्धतियों में से एक रेकी चिकित्सा पद्धति आज चिकित्सा के क्षेत्र में अपना अहम स्थान रखती है । यह ध्यानावस्था की चिकित्सा है । इसके द्वारा रोगी को भिन्न-भिन्न स्थितियों में ध्यानावस्थित कर बड़े-बड़े असाध्य रोगों को ठीक किया जा सकता है ।
' रेकी ' शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है-' रे ' (REI) तथा ' की' (KI) । ' रे ' शब्द का अर्थ है ' सार्वभौम ' ब्रह्मांड और ' की ' शब्द का अर्थ है ' ऊर्जा ' । ' रेकी '- अर्थात् ब्रह्मांड ऊर्जा । ब्रह्मांड ऊर्जा-रेकी को ऐसी शक्ति के रूप में परिभाषित किया गया है जो सभी पदार्थों में विद्यमान होकर सक्रिय रहती है । रेकी मात्र सरल या प्राकृतिक चिकित्सा ही नहीं है अपितु यह सार्वभौमिक जीवन ऊर्जा को अंतरित करने का सर्वाधिक प्रभावशाली तरीका भी है ।
इस पुस्तक में रेकी क्या है, रेकी का इतिहास क्या है, श्वास-निःश्वास की तकनीक, प्रत्यक्ष ध्यानावस्था : सफेद प्रकाश का ध्यान लगाना, रेकी के पाँच नियम, रेकी एलायंस, आत्म-उपचार तकनीक : हाथ की स्थितियाँ रेकी में क्या करें, क्या न करें, ' ॐ ' की साधना, सामूहिक उपचार, किन स्थितियों में रेकी नहीं देनी चाहिए प्रकाश भेजकर उपचार, रेकी के विभिन्न पहलू ऊर्जा संचारक क्रिया जैसे अध्याय इस संबंध में हमें विपुल जानकारियाँ देते हैं । साथ ही पुस्तक में दिए गए ढेरों चित्र विषय को समझने में हमारी भरपूर मदद भी करते हैं ।
श्री मोहन मक्कड़ को ' वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति ' में ख्याति प्राप्त है । ये रेकी, प्राणिक चिकित्सा, रंगों से चिकित्सा, चुंबकीय चिकित्सा, मनश्चिकित्सा-सर्जरी सम्मोहन तथा तिब्बती ध्यान योग जैसी वैकल्पिक चिकित्सा की जटिल तकनीकों में दक्ष हैं ।
अपने कई वर्षों के चिकित्सकीय जीवन में श्री मोहन मक्कड़ लगभग सोलह सौ रोगियों का इलाज कर चुके हैं । इन्होंने ऑर्थराइटिस, मधुमेह, गठिया, लकवा, पायरिया, स्पांडिलाइटिस, ब्रॉन्काइटिस, दमा तथा बवासीर जैसे रोगों का इलाज किया है । इसके अलावा सिरदर्द, बदन दर्द, हकलाना तथा स्मरण शक्ति कमजोर पड़ने जैसी समस्याओं का भी निराकरण किया है ।