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पत्रकारिता ने धीरे-धीरे ही सही समाज में आज ऐसी जगह बना ली है कि लोग अब लोकतंत्र के इस पहरेदार को जानने-समझने लगे हैं। लोकतंत्र के चौथे खंभे के रूप में पत्रकारिता की आज एक भरोसेमंद जगह है। जाने-अनजाने समाज में ऐसी धारणा मजबूत हुई है कि अगर आपको इनसाफ नहीं मिल रहा हो तो आप टी.वी. चैनल-अखबार यानी पत्रकारिता की शरण में जाएँ, वहाँ से इनसाफ की एक नई उम्मीद मिल सकती है।
भारत में टी.वी. पत्रकारिता एक नए दौर से गुजर रही है। घर-घर और गली-मुहल्लों, यहाँ तक कि झुग्गी-झोंपडि़यों में टी.वी. की पहुँच ने टी.वी. पत्रकारिता और टी.वी. पत्रकारों से समाज की उम्मीदें बढ़ा दी हैं। आम लोगों में पहुँच बनाने के बाद, टी.वी. पत्रकारिता को अब नए आकाश की तलाश है। शहरों से लेकर दूर-दराज के गाँवों में टी.वी. पत्रकार बनने की ख्वाहिश रखनेवाले नौजवान और लड़कियों की आज कमी नहीं।
पत्रकारिता के प्रति नई पीढ़ी में बढ़ती रुचि को देखते हुए देश भर में पत्रकारिता संस्थानों का विस्तार हो रहा है। विश्वविद्यालयों में पत्रकारिता के विभाग खुल रहे हैं। दूसरे चमकदार पेशे की तरह ही युवाओं में टी.वी. पत्रकार बनने की होड़ सी लगी है। इनमें से ज्यादातर लोग एंकर बनना चाहते हैं या कम-से-कम रिपोर्टर। प्रस्तुत पुस्तक में पत्रकारिता को कॅरियर के रूप में अपनाने वाले युवाओं का भरपूर मार्गदर्शन किया गया है।
रिपोर्टिंग व एंकरिंग की एक प्रेक्टिकल हैंडबुक व गाइड।
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अनुक्रम
माँ तुझे प्रणाम! —Pgs 5
पत्रकारिता में एंट्री से पहले —Pgs 7
टी.वी. पत्रकारिता की ताकत —Pgs 13
1. भारत में टी.वी. पत्रकारिता —Pgs 17
2. टी.वी. पत्रकारिता की चुनौतियाँ —Pgs 23
3. चैनल की व्यावसायिकता और पत्रकारिता —Pgs 25
4. टी.आर.पी. का खेल —Pgs 28
5. न्यूजरूम यानी खबरों की फैक्टरी —Pgs 31
6. चैनल का सांगठनिक ढाँचा —Pgs 34
7. न्यूजरूम का मास्टर —Pgs 36
8. एसाइनमेंट—खबरों का एंट्री गेट —Pgs 44
9. खबरों का स्रोत —Pgs 51
10. रिपोर्टर—टी.वी. का परिचित चेहरा —Pgs 56
11. स्टिंग ऑपरेशन—यानी खुलासे का खेल —Pgs 80
12. आउटपुट—खबरों का डिजायनर —Pgs 87
13. आउटपुट के सहयोगी डेस्क —Pgs 93
14. न्यूज स्क्रिप्ट —Pgs 100
15. पैकेज लेखन—अभिव्यक्ति का अंदाज जुदा —Pgs 108
16. प्रोडक्शन —Pgs 117
17. एंकर और एंकरिंग —Pgs 120
18. पत्रकारिता के नए तेवर —Pgs 128
जन्म : 2 फरवरी, 1965, चकदरिया (छपरा), बिहार में।
शिक्षा : बी.ए., बी.जे. (पत्रकारिता)।
कृतित्व : पटना ‘आज’ में कला संवाददाता के रूप में अंशकालिक नौकरी, पत्रकारिता की शुरुआत। 1989 में गुवाहाटी के बहुभाषी प्रकाशन समूह के हिंदी अखबार ‘सेंटिनल’ में उप संपादक। 1991 में ‘दैनिक जागरण’ दिल्ली में उप संपादक और बाद में मुख्य संपादक के रूप में प्रमोशन। ‘अमर उजाला’ से जुड़कर बिजनेस पत्रकारिता भी सीखी। दूरदर्शन के सुपरहिट कार्यक्रम ‘सुबह सवेरे’ से सीनियर रिपोर्टर के तौर पर जुड़कर राष्ट्रीय पहचान मिली। बी.ए.जी. फिल्म्स से जुड़कर डी.डी. न्यूज के कार्यक्रम ‘रोजाना’ के सीनियर प्रोड्यूसर। इसी दौरान बी.ए.जी. के मीडिया स्कूल ‘आइसोम्स’ में टी.वी. पत्रकारिता के छात्रों का अध्यापन और मार्गदर्शन। बी.ए.जी. के चैनल ‘न्यूज 24’ में तकरीबन चार साल नौकरी। ‘अमर उजाला’ के एसोसिएट एडिटर।
इ-मेल : krbchandra@gmail.com