Prabhat Prakashan, one of the leading publishing houses in India eBooks | Careers | Events | Publish With Us | Dealers | Download Catalogues
Helpline: +91-7827007777

Resha-Resha Resham Sa   

₹250

In stock
  We provide FREE Delivery on orders over ₹1500.00
Delivery Usually delivered in 5-6 days.
Author Khurrum Noor
Features
  • ISBN : 9789384343620
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1
  • ...more

More Information

  • Khurrum Noor
  • 9789384343620
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1
  • 2017
  • 144
  • Hard Cover

Description

‘रेशा-रेशा रेशम सा काव्य संग्रह अपने नाम को सार्थक करता है। इस संकलन की हर रचना उन रेशमी धागों के समान हैं जिनसे मिलकर बनने वाली इस कोमल कृति का मन से किया गया स्पर्श और अवलोकन दोनों ही एक रेशमी आनंद और शालीनता की अनुभूति देते हैं। जिस प्रकार रेशम की उत्पत्ति में छिपा कष्ट, दुःख और परिश्रम अपरोक्ष रहकर, उसे अद्वितीय कांति देता है, यह मार्मिक संग्रह कवि के अनुभवों, विचारों और सपनों से बनी एक ऐसी रेशमी चादर के समान है जिसे आप छू लें तो ओढ़े बिना रह नहीं सकेंगे। ‘ख्वाब, ख्याल और ख्वाहिशें’ के बाद गज़लों, नज़्मों और अशआर की खुर्रम शहज़ाद नूर की यह दूसरी काव्य कृति है।
भारतीय नौसेना में कमोडोर नूर के नाम से प्रसिद्ध खुर्रम शहज़ाद नूर नौसेना की शिक्षा शाखा में रहते हुए पनडुब्बी-रोधी युद्ध शैली के महाप्रशिक्षक हैं। सैनिक स्कूल भुवनेश्वर में प्राचार्य रहने के बाद संप्रति नौसेना मुख्यालय में निदेशक हैं। 

__________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________

विषय सूची  
गज़ल —  28. तुमसे नाता जो तार-तार हुआ — 45
1. उस दौर की हर शय बड़ी प्यारी सी लगे है — 15 29. मेरी मश़्गूलियत को ना समझा — 46
2. बीते लम्हों की अमानत गर हमें, मिल जाए फिर — 16 30. आँख तुमसे जो चार ना करते — 47
3. शब से पहले उनका जाना हो गया — 17 31. ज़िंदगी की उलझनों को, हमने सुलझाया बहुत — 48
4. रब का दीदार होना चाहिए था — 19 32. ज़िंदगी यादों का ढेर हो गई — 49
5. खुद वालिदैन की कभी ​ खिद्मत नहीं करी — 20 33. वक्त का इंतज़ार करता हूँ — 50
6. एक सादा सी श़क्ल की लड़की — 21 34. झूठ है आशिकी नहीं करता — 51
7. माँग लें एक शब चाँद-तारे लिए — 22 35. शरमा गए वो इस कदर मेरे सलाम से — 52
8. बहती हुई धारा हूँ, रुका नीर नहीं हूँ — 23 36. बुरा वक्त जिसने गुज़ारा नहीं है — 53
9. पाज़ेब की रुनझुन सुना, चूड़ी की खनक दे — 24 37. सूरज हूँ मैं रौशन तेरी ज़मीन करूँगा — 54
10. पुराने बा़गबाँ जब बा़गबानी भूल जाते हैं — 25 38. प्यार है एक जंजीर मौला — 55
11. औरों के लिए माना शर्मनाक बहुत थे — 26 39. अपनी-अपनी हसरतों और ख्वाहिशों की जुस्तजू — 57
12. ऐसा नहीं के उससे हमें प्यार ना रहा — 27 नज़्म — 
13. आप से जो मिला नहीं होता — 28 1. नज़दीकियाँ — 61
14. उनकी नज़रों में मोहब्बत गर हिमा़कत है, तो है — 30 2. मुंबई — 62
15. माना के मुला़कात बड़ी मु़ख्तसर हुई — 31 3. शाहकार — 63
16. जीवन भर मुझको आएगी, इस बरखा की याद — 32 4. बारिश — 64
17. अहमियत मेरी थी तब, अब पैराहन पे गौर है — 33 5. गर्मी की शाम — 66
18. तेरे इज़हार का भी एहतराम करता हूँ — 34 6. मुझे फिर ज़िंदगी से प्यार सा होने लगा है — 69
19. उनसे मिल के रात भर जो रोए हैं — 35 7. खताएँ. . . 71
20. जो मुमकिन हो तो, फिर मौसम पुराना चाहता हूँ — 36 8. निशानात — 74
21. खुद बा खुद रिश्ते रवाँ हो जाएँगे. . . 37 9. दुआ — 75
22. प्यार में गुज़रा हुआ हर पल पुराना याद है — 38 10. कलाम — 77
23. बे अदब, बद ज़ुबाँ हो गए — 40 11. रेशा-रेशा रेशम तू — 79
24. उनके आने का इंतज़ार किया. . . 41 12. सच्ची ख्वाहिश — 81
25. क्यों हमारे खंजरों के खौ़फ में है ये जहाँ? — 42 मुक्तक — 83
26. हादसे जब हमें लाचार बना देते हैं — 43 अश्आर — 99
27. ये ज़िंदगी आमाल की ऐसी मिसाल हो — 44 दोहे — 135

The Author

Khurrum Noor

भारतीय नौसेना में कैप्टन नूर के नाम से प्रसिद्ध ख़ुर्रम शहज़ाद नूर नौसेना की शिक्षा शाखा में रहते हुए पनडुब्बी-रोधी युद्ध शैली के महाप्रशिक्षक हैं। नौसेना मुख्यालय में निदेशक रहने के बाद संप्रति सैनिक स्कूल, भुवनेश्‍वर में प्राचार्य हैं।बचपन से ही साहित्य सृजन में रुचि रही; हिंदी-अंग्रेजी में कविता तथा हिंदी में कहानियाँ लिखते रहे हैं। अंग्रेजी कविताओं का संकलन ‘Nostalgia’ शीर्षक से प्रकाशित।
शिक्षा के क्षेत्र में सराहनीय योगदान के लिए उड़ीसा राज्य सरकार द्वारा ‘राजीव गांधी सद‍्भावना पुरस्कार’ से सम्मानित। नौसेना अध्यक्ष एवं कमांडर इन चीफ दोनों से ही नौसेना में अपनी सेवाओं के लिए प्रशंसा मेडल प्राप्‍त कर चुके हैं।‘सोलह आने सच’ इनका पहला कहानी संग्रह है। हिंदी/उर्दू की गजलों और नज्मों का एक संकलन शीघ्र प्रकाश्य। संप्रति कैप्टन ख़ुर्रम शहज़ाद नूर अपनी आत्मकथा पर आधारित अंग्रेजी उपन्यास ‘32 Kilometers’ पर कार्य कर रहे हैं।

Customers who bought this also bought

WRITE YOUR OWN REVIEW