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Ritusanhar   

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Author Mool Chandra Pathak
Features
  • ISBN : 8188140899
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1st
  • ...more
  • Kindle Store

More Information

  • Mool Chandra Pathak
  • 8188140899
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1st
  • 2011
  • 150
  • Hard Cover

Description

‘ऋतुसंहार’ संभवत: महाकवि कालिदास की काव्य-प्रतिभा का प्रथम प्रसाद है, जिससे पाठक वर्ग प्राय: वंचित ही रहा है। ‘ऋतुसंहार’ का शाब्दिक अर्थ है—ऋतुओं का संघात या समूह। इस काव्य में कवि ने छह ऋतुओं का छह सर्गों में सांगोपांग वर्णन किया है। कवि ने ऋतुचक्र का वर्णन ग्रीष्म से आरंभ कर प्रावृट् (वर्षा), शरत्, हेमंत व शिशिर ऋतुओं का क्रमश: दिग्दर्शन कराते हुए प्रकृति के सर्वव्यापी सौंदर्य, माधुर्य एवं वैभव से संपन्न वसंत ऋतु के साथ इस कृति का समापन किया है।
प्रत्येक ऋतु के संदर्भ में कवि ने न केवल संबंधित कालखंड के प्राकृतिक वैशिष्ट्य, विविध दृश्यों व छवियों का चित्रण किया है, बल्कि हर ऋतु में प्रकृति-जगत् में होनेवाले परिवर्तनों व प्रक्रियाओं के युवक-युवतियों व प्रेमी-प्रेमिकाओं के प्रणय-जीवन पर पड़नेवाले प्रभावों का भी रोमानी शैली में निरूपण व आकलन किया है। प्रकृति के प्रांगण में विहार करनेवाले विभिन्न पशु-पक्षियों तथा नानाविध वृक्षों, लताओं व फूलों को भी कवि भूला नहीं है। वह भारत के प्राकृतिक वैभव तथा जीव-जंतुओं के वैविध्य के साथ-साथ उनके स्वभाव व प्रवृत्तियों से भी पूर्णत: परिचित है। प्रस्तुत काव्य को पढ़ने से भारत की विभिन्न ऋतुओं का सौंदर्य अपने संपूर्ण रूप में हमारी आँखों के समक्ष साक्षात् उपस्थित हो जाता है।
आशा है, मुक्त शैली में रचित यह काव्यानुवाद सुधी पाठकों को पसंद आएगा।

The Author

Mool Chandra Pathak

जन्म : 6 अक्‍तूबर, 1932 को जयपुर (राज.) में।
शिक्षा : एम.ए. (संस्कृत व हिंदी), पी-एच.डी. (संस्कृत)।
कृतित्व : ‘संस्कृत नाटक में अतिप्राकृत तत्त्व’ (शोध ग्रंथ), ‘सिकता का स्वप्न’ (काव्य-संग्रह), ‘राजरत्‍नाकर महाकाव्य’ हस्तलिखित प्रतियों के आधार पर संस्कृत मूलपाठ का संपादन एवं अनुवाद, ‘भगवद‍्गीता-काव्य’ (गीता का काव्यानुवाद), ‘भर्तृहरि का नीति शतक’, ‘भर्तृहरि का श्रृंगार शतक’, ‘भर्तृहरि का वैराग्य शतक’ (मुक्‍तछंदीय काव्यानुवाद), ‘रघुवंश महाकाव्य’ (काव्यानुवाद), ‘पर्यावरणशतकम्’ (संस्कृत काव्य)।
सम्मान-पुरस्कार : मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार तथा राष्‍ट्रीय संस्कृत संस्थान, नई दिल्ली; राजस्थान सरकार तथा राजस्थान संस्कृत अकादमी, जयपुर द्वारा विद्वत्सम्मान।

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