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प्राचीन काल से ही भारत में शिक्षा के साथ संस्कार निर्माण को महत्त्वपूर्ण स्थान प्राप्त था। कहानियों की विधा का भी हमारे सामाजिक जीवन में महत्त्वपूर्ण स्थान रहा है। वेदों, उपनिषदों, पुराणों, रामायण, महाभारत, जातक कथाओं एवं जैन कथाओं के द्वारा अनेक कहानियों को रोचक ढंग से सुनाकर विद्यार्थियों को सुसंस्कारित किया जाता था।
प्रस्तुत पुस्तक में एक तिहाई कहानियों को भारत की संस्कृति और परंपरा के आधार पर संग्रहीत किया गया है। एक तिहाई कहानियों को मानवीय जीवनमूल्यों यथा अहिंसा, करुणा, निस्स्वार्थ प्रेम, मैत्रीभाव और सेवा के आधार पर संकलित किया गया है। एक तिहाई भाग में रोचक जैन कथाओं का संकलन है। प्रत्येक कहानी में एक संदेश है, जो हमारे जीवन पर अमिट प्रभाव डालता है। अधिकांश कहानियाँ सरल और रोचक भाषा में हैं।
अच्छा कर्म, अच्छा ज्ञान, अच्छा चरित्र, इंद्रिय-विजय, मन पर नियंत्रण, भावना, एकाग्रता एवं स्मरण-शक्ति जैसे सद्गुणों को जब कहानियों में गुंफित किया जाता है तो वे बहुत रोचक हो जाते हैं।
मानव-मूल्यों को सर्वसुलभ बनाने के लिए प्रेरक बोधकथाओं का उत्कृष्ट संकलन।
—दुलीचंद जैन
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अनुक्रम
अपनी बात —Pgs. 7
1. ज्ञान का सार —Pgs. 13
2. भय पीछे छोड़ आया —Pgs. 15
3. शील ही है सर्वश्रेष्ठ —Pgs. 16
4. मात सी लागत नार पराई —Pgs. 18
5. इंद्रियों का दास —Pgs. 20
6. आप क्या हैं डॉ. कलाम? —Pgs. 23
7. माँ ने किया हृदय का परिवर्तन —Pgs. 24
8. जिह्वा की लोलुपता —Pgs. 26
9. गांधीजी कैसे महान् बने? —Pgs. 28
10. माता मदालसा —Pgs. 30
11. मेरा पेट कब्रिस्तान नहीं —Pgs. 33
12. महान् दुष्कर व्रत —Pgs. 34
13. मन चंगा तो कठौती में गंगा —Pgs. 36
14. कहानी अष्टावक्र की —Pgs. 39
15. लालच और वैराग्य —Pgs. 41
16. एक लोटा पानी —Pgs. 42
17. डाकू का हृदय परिवर्तन —Pgs. 43
18. सिकंदर जब गया दुनिया से —Pgs. 44
19. नचिकेता —Pgs. 45
20. श्रद्धा से योग शिक्षा —Pgs. 47
21. किसका मन चलायमान नहीं होता? —Pgs. 49
22. रूपगर्विता —Pgs. 52
23. भारी नहीं भाई है —Pgs. 54
24. भले-भलाई, बुरे-बुराई —Pgs. 55
25. सूली का सिंहासन —Pgs. 57
26. निर्धन वृद्धा का वात्सल्य —Pgs. 59
27. काम से राम की ओर —Pgs. 61
28. बुराई का फल —Pgs. 64
29. गृहस्थ का कर्तव्य —Pgs. 66
30. जो होता है, अच्छा ही होता है —Pgs. 67
31. सबसे बड़ा खजाना —Pgs. 69
32. करनी का फल —Pgs. 70
33. अनित्य भावना —Pgs. 72
34. उपकार —Pgs. 73
35. ‘मैं राजा भोज हूँ’ —Pgs. 74
36. झूठ-फरेब का महल —Pgs. 78
37. परस्त्री माता समान —Pgs. 79
38. लक्ष्मी श्रेष्ठ या विष्णु? —Pgs. 80
39. विनोबा का संदेश —Pgs. 82
40. एकाग्रता एवं स्मरणशक्ति —Pgs. 83
41. नियम के पक्के —Pgs. 85
42. आत्मा की ज्योति —Pgs. 86
43. महाराज भर्तृहरि —Pgs. 88
44. पावन तीर्थ —Pgs. 91
45. संपत्ति का सदुपयोग —Pgs. 92
46. महासती अंजना —Pgs. 94
47. अभय कुमार का बुद्धि चातुर्य —Pgs. 98
48. तू आपकर्मी या बापकर्मी? —Pgs. 100
49. नहीं लूँगा यह ‘खूनी इंजेक्शन’ —Pgs. 102
50. अभय की उत्कृष्ट भावना —Pgs. 103
51. साधना की अग्निपरीक्षा —Pgs. 105
52. हरिकेशी मुनि —Pgs. 107
53. राजीमती की ओजस्विता —Pgs. 109
54. दास प्रथा से उद्धार —Pgs. 110
55. अहिंसा की अमृत वर्षा —Pgs. 114
56. आत्मा का दर्शन —Pgs. 116
57. तृष्णा का जाल —Pgs. 117
58. साधु भविष्य कथन नहीं करे —Pgs. 122
59. असीम करुणा —Pgs. 123
60. ये फल आपने भेजे हैं? —Pgs. 126
61. तुम स्वयं अनाथ हो —Pgs. 127
62. ईर्ष्या का दुष्फल —Pgs. 129
63. नमि राजर्षि —Pgs. 130
64. मेघ कुमार —Pgs. 131
65. बुढ़िया की कहानी —Pgs. 133
66. भावना का परिवर्तन —Pgs. 134
67. अरिष्टनेमी —Pgs. 136
68. संत दर्शन से लाभ —Pgs. 137
69. वैर का बदला —Pgs. 139
70. असहनीय उपसर्ग (कानों में कीलें ठोंकीं) —Pgs. 143
71. नींव का पत्थर —Pgs. 145
72. कितना कठिन है तीन गुप्ति का पालन —Pgs. 146
73. गांधीजी और ईसाई पादरी —Pgs. 148
74. वैमनस्य —Pgs. 150
75. सच्ची करुणा —Pgs. 151
76. ज्योतिषी को दंड —Pgs. 153
77. देश की इज्जत —Pgs. 154
78. मेनका गांधी और शाकाहार —Pgs. 155
79. अंडे का नहीं, दूध का दिमाग —Pgs. 156
80. लीवर का मूल्य —Pgs. 157
81. आप कौन सा भोजन करते हैं? —Pgs. 158
82. जानवर कभी विश्वासघात नहीं करते —Pgs. 159
83. सबसे प्यारे प्राण —Pgs. 161
84. शीलवान —Pgs. 163
85. देश जोड़ना है तो आदमी को जोड़ो —Pgs. 164
86. असली काफिर —Pgs. 165
87. बुढ़िया की शिक्षा —Pgs. 166
88. पेड़ की गवाही —Pgs. 167
89. उलझन को कैसे सुलझाएँ? —Pgs. 168
90. हर अच्छे काम में सहायक बनें —Pgs. 169
91. शास्त्रीजी की महानता —Pgs. 170
92. नरक गति का बंध —Pgs. 172
93. लक्ष्मीजी की कहानी —Pgs. 174
94. उपकारी को नहीं भूलें —Pgs. 176
95. धन का लोभ —Pgs. 178
96. पापी कौन? —Pgs. 179
97. परोपकार —Pgs. 180
98. सोने का पहाड़ —Pgs. 182
99. अभी तो पैसा इकट्ठा करो —Pgs. 185
100. मनोबल —Pgs. 187
101. सत्य दृष्टि —Pgs. 189