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Author Dulichand Jain ‘Sahityaratna’
Features
  • ISBN : 9789387980594
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1
  • ...more
  • Kindle Store

More Information

  • Dulichand Jain ‘Sahityaratna’
  • 9789387980594
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1
  • 2019
  • 192
  • Hard Cover

Description

प्राचीन काल से ही भारत में शिक्षा के साथ संस्कार निर्माण को महत्त्वपूर्ण स्थान प्राप्त था। कहानियों की विधा का भी हमारे सामाजिक जीवन में महत्त्वपूर्ण स्थान रहा है। वेदों, उपनिषदों, पुराणों, रामायण, महाभारत, जातक कथाओं एवं जैन कथाओं के द्वारा अनेक कहानियों को रोचक ढंग से सुनाकर विद्यार्थियों को सुसंस्कारित किया जाता था। 
प्रस्तुत पुस्तक में एक तिहाई कहानियों को भारत की संस्कृति और परंपरा के आधार पर संग्रहीत किया गया है। एक तिहाई कहानियों को मानवीय जीवनमूल्यों यथा अहिंसा, करुणा, निस्स्वार्थ प्रेम, मैत्रीभाव और सेवा के आधार पर संकलित किया गया है। एक तिहाई भाग में रोचक जैन कथाओं का संकलन है। प्रत्येक कहानी में एक संदेश है, जो हमारे जीवन पर अमिट प्रभाव डालता है। अधिकांश कहानियाँ सरल और रोचक भाषा में हैं।
अच्छा कर्म, अच्छा ज्ञान, अच्छा चरित्र, इंद्रिय-विजय, मन पर नियंत्रण, भावना, एकाग्रता एवं स्मरण-शक्ति जैसे सद्गुणों को जब कहानियों में गुंफित किया जाता है तो वे बहुत रोचक हो जाते हैं।
मानव-मूल्यों को सर्वसुलभ बनाने के लिए प्रेरक बोधकथाओं का उत्कृष्ट संकलन।
—दुलीचंद जैन

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अनुक्रम

अपनी बात —Pgs. 7

1. ज्ञान का सार —Pgs. 13

2. भय पीछे छोड़ आया —Pgs. 15

3. शील ही है सर्वश्रेष्ठ —Pgs. 16

4. मात सी लागत नार पराई —Pgs. 18

5. इंद्रियों का दास —Pgs. 20

6. आप क्या हैं डॉ. कलाम? —Pgs. 23

7. माँ ने किया हृदय का परिवर्तन —Pgs. 24

8. जिह्व‍ा की लोलुपता —Pgs. 26

9. गांधीजी कैसे महान् बने? —Pgs. 28

10. माता मदालसा —Pgs. 30

11. मेरा पेट कब्रिस्तान नहीं —Pgs. 33

12. महान् दुष्कर व्रत —Pgs. 34

13. मन चंगा तो कठौती में गंगा —Pgs. 36

14. कहानी अष्टावक्र की —Pgs. 39

15. लालच और वैराग्य —Pgs. 41

16. एक लोटा पानी —Pgs. 42

17. डाकू का हृदय परिवर्तन —Pgs. 43

18. सिकंदर जब गया दुनिया से —Pgs. 44

19. नचिकेता  —Pgs. 45

20. श्रद्धा से योग शिक्षा —Pgs. 47

21. किसका मन चलायमान नहीं होता? —Pgs. 49

22. रूपगर्विता —Pgs. 52

23. भारी नहीं भाई है —Pgs. 54

24. भले-भलाई, बुरे-बुराई —Pgs. 55

25. सूली का सिंहासन —Pgs. 57

26. निर्धन वृद्धा का वात्सल्य —Pgs. 59

27. काम से राम की ओर —Pgs. 61

28. बुराई का फल —Pgs. 64

29. गृहस्थ का कर्तव्य —Pgs. 66

30. जो होता है, अच्छा ही होता है —Pgs. 67

31. सबसे बड़ा खजाना —Pgs. 69

32. करनी का फल —Pgs. 70

33. अनित्य भावना —Pgs. 72

34. उपकार —Pgs. 73

35. ‘मैं राजा भोज हूँ’ —Pgs. 74

36. झूठ-फरेब का महल —Pgs. 78

37. परस्त्री माता समान —Pgs. 79

38. लक्ष्मी श्रेष्ठ या विष्णु? —Pgs. 80

39. विनोबा का संदेश —Pgs. 82

40. एकाग्रता एवं स्मरणशक्ति —Pgs. 83

41. नियम के पक्के —Pgs. 85

42. आत्मा की ज्योति —Pgs. 86

43. महाराज भर्तृहरि —Pgs. 88

44. पावन तीर्थ —Pgs. 91

45. संपत्ति का सदुपयोग —Pgs. 92

46. महासती अंजना —Pgs. 94

47. अभय कुमार का बुद्धि चातुर्य —Pgs. 98

48. तू आपकर्मी या बापकर्मी? —Pgs. 100

49. नहीं लूँगा यह ‘खूनी इंजेक्शन’ —Pgs. 102

50. अभय की उत्कृष्ट भावना  —Pgs. 103

51. साधना की अग्निपरीक्षा —Pgs. 105

52. हरिकेशी मुनि —Pgs. 107

53. राजीमती की ओजस्विता —Pgs. 109

54. दास प्रथा से उद्धार  —Pgs. 110

55. अहिंसा की अमृत वर्षा  —Pgs. 114

56. आत्मा का दर्शन —Pgs. 116

57. तृष्णा का जाल —Pgs. 117

58. साधु भविष्य कथन नहीं करे —Pgs. 122

59. असीम करुणा —Pgs. 123

60. ये फल आपने भेजे हैं? —Pgs. 126

61. तुम स्वयं अनाथ हो —Pgs. 127

62. ईर्ष्या का दुष्फल —Pgs. 129

63. नमि राजर्षि —Pgs. 130

64. मेघ कुमार —Pgs. 131

65. बुढ़िया की कहानी —Pgs. 133

66. भावना का परिवर्तन —Pgs. 134

67. अरिष्टनेमी —Pgs. 136

68. संत दर्शन से लाभ —Pgs. 137

69. वैर का बदला —Pgs. 139

70. असहनीय उपसर्ग (कानों में कीलें ठोंकीं) —Pgs. 143

71. नींव का पत्थर —Pgs. 145

72. कितना कठिन है तीन गुप्ति का पालन —Pgs. 146

73. गांधीजी और ईसाई पादरी —Pgs. 148

74. वैमनस्य —Pgs. 150

75. सच्ची करुणा —Pgs. 151

76. ज्योतिषी को दंड —Pgs. 153

77. देश की इज्जत —Pgs. 154

78. मेनका गांधी और शाकाहार —Pgs. 155

79. अंडे का नहीं, दूध का दिमाग —Pgs. 156

80. लीवर का मूल्य —Pgs. 157

81. आप कौन सा भोजन करते हैं? —Pgs. 158

82. जानवर कभी विश्वासघात नहीं करते —Pgs. 159

83. सबसे प्यारे प्राण —Pgs. 161

84. शीलवान —Pgs. 163

85. देश जोड़ना है तो आदमी को जोड़ो —Pgs. 164

86. असली काफिर —Pgs. 165

87. बुढ़िया की शिक्षा —Pgs. 166

88. पेड़ की गवाही —Pgs. 167

89. उलझन को कैसे सुलझाएँ? —Pgs. 168

90. हर अच्छे काम में सहायक बनें —Pgs. 169

91. शास्त्रीजी की महानता —Pgs. 170

92. नरक गति का बंध —Pgs. 172

93. लक्ष्मीजी की कहानी —Pgs. 174

94. उपकारी को नहीं भूलें —Pgs. 176

95. धन का लोभ —Pgs. 178

96. पापी कौन? —Pgs. 179

97. परोपकार —Pgs. 180

98. सोने का पहाड़ —Pgs. 182

99. अभी तो पैसा इकट्ठा करो —Pgs. 185

100. मनोबल —Pgs. 187

101. सत्य दृष्टि —Pgs. 189

 

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Dulichand Jain ‘Sahityaratna’

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