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रॉकेट के विकास ने अंतरिक्ष अन्वेषण कार्य के लिए महान् संभावनाओं का रास्ता खोल दिया है। प्रायोगिक रूप में लाने के पहले रॉकेटों का प्रयोग अंतरिक्ष परिवहन के रूप में वैज्ञानिक दंत-कथाओं में भी काफी किया जा चुका है। प्रारंभ में रॉकेटों का उपयोग युद्धों में अस्त्रों व मिसाइलों के रूप में हुआ और समारोहों एवं खुशी के मौकों पर फायरवर्क के रूप में हुआ। लेकिन बाद में मानव ने अंतरिक्ष अन्वेषण के लिए इसे अत्यधिक उपयोगी पाया। यदि रॉकेट का विकास न होता तो यूरी गागरिन की ऐतिहासिक अंतरिक्ष यात्रा संभव न होती और नील आर्मस्ट्रांग चाँद पर पदार्पण न कर पाते।
रॉकेटों के इस व्यापक रोचक संसार के बारे में जानने की जिज्ञासा आमजन में रहती है। इसकी जानकारी सरल-सुबोध भाषा में देने का प्रयास किया है प्रसिद्ध विज्ञान लेखक श्री काली शंकर ने, जिनकी अंतरिक्ष विज्ञान पर अनेक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। इस पुस्तक के माध्यम से पाठक रॉकेटों के साथ-साथ अंतरिक्ष के रोमांचक व रहस्यपूर्ण तथ्यों से परिचित हो पाएँगे और इस विषय में अपना भरपूर ज्ञानवर्धन करेंगे।
मोतीलाल नेहरू रीजनल इंजीनियरिंग कॉलेज से बी.ई. एवं रुड़की विश्वविद्यालय से एम.ई. की उपाधियाँ प्राप्त।
कृतित्व : अब तक अंतरिक्ष विज्ञान से संबंधित लगभग ग्यारह पुस्तकें प्रकाशित।
पुरस्कार-सम्मान : उत्तर प्रदेश सरकार का ‘संपूर्णानंद पुरस्कार’, राजभाषा विभाग का ‘इंदिरा गांधी पुरस्कार’ तथा इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स के ‘राष्ट्रपति पुरस्कार’ से पुरस्कृत। ‘सर्टिफिकेट ऑफ मेरिट’ एवं इसरो (ISRO) की ओर से ‘डिस्टिंग्विश्ड अचीवमेंट अवार्ड’ से सम्मानित। ऑल इंडिया सोसाइटी फॉर इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कंप्यूटर टेक्नोलॉजी संस्था द्वारा ‘डॉ. सी.वी. रमण तकनीकी लेखन पुरस्कार’ से पुरस्कृत।
संप्रति : भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) में वरिष्ठ संचार इंजीनियर के पद से सेवानिवृत्त होकर विज्ञान-लेखन में रत।